Chandra Grahan: पटना के विभिन्न गंगा घाटों पर चलता रहा ‘भूत खेला’, नरमुंड के साथ झुमती नजर आयी महिलाएं

Chandra Grahan: दीघा के पाटीपुल घाट से आस्था और अंधविश्वास के अनुष्ठान की अनोखी तस्वीर देखने को मिली. यहां पुल संख्या- 83 के पास कथित बाबा-ओझा और तांत्रिकों की भीड़ जुटी नजर आयी. यहां खुलेआम अंधविश्वास का काला खेल चल रहा था. हैरत कि बात यह रही कि इन बाबाओं को प्रशासन का थोड़ा भी भय नहीं था.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 8, 2022 6:47 PM

Chandra Grahan-Kartik Purnima 2022: कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर बिहार की राजधानी पटना में विभिन्न गंगा घाटों पर लाखों लोगों ने आस्था की डुबकी लगायी. इन सब के बीच दीघा के पाटीपुल घाट से आस्था और अंधविश्वास के अनुष्ठान की अनोखी तस्वीर देखने को मिली. यहां पुल संख्या- 83 के पास कथित बाबा-ओझा और तांत्रिकों की भीड़ जुटी नजर आयी. यहां खुलेआम अंधविश्वास का काला खेल चल रहा था. हैरत कि बात यह रही कि इन बाबाओं को प्रशासन का थोड़ा भी भय नहीं था. पुलिस के नाक के नीचे ओझा गुणियों के अंधविश्वास का खेल चलता रहा. हालांकि लोगों की इस अंधविश्वास से जुड़ी कई मान्यताएं भी हैं. हर साल लोग यहां आते हैं और इस तरह का अनुष्ठान करते हैं.

अजीबोगरीब हरकतें करती नजर आईं महिलाएं

बता दें कि कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान के दौरान गंगा घाटों पर ओझा-गुणियों का खेल लंबे समय से चलता आ रहा है. ऐसे कई मामले हाजीपुर के कोनहारा ऐतिहासिक घाट से सामने आते रहे हैं. लेकिन शायद यह पहला मौका है जब राजधानी पटना के गंगा तटों पर अंधविश्वास का खेल पुलिस प्रशासन के सामने जारी रहा. इस बार ओझा-तांत्रिकों की भीड़ ज्यादातर दीघा घाट के पाटीपुल घाट सहित अन्य कई घाटों पर नजर आयी. ओझा गुणियों के द्वारा झुंड लगाकर लोगों के समस्याओं का निवारण किया जा रहा था. इस दौरान महिलाएं अजीबोगरीब हरकतें करती नजर आयी.

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ढोल-मंजीरे की थाप पर झूमते नजर आए बाबा

पटना में अंधविश्वास का यह खेल केवल पाटीपुल घाट के पास नहीं, बल्कि दीघा घाट से लेकर मरीन ड्राइव तक केमेबेश यही हाल नजर आए. मौके पर मौजूद ओझा-गुणी मंत्र के सहारे लोगों को भूत भगाते नजर आए. कथित बाबा ढोल मंजीरे की तेज आवाज मदमस्त होकर झूमते नजर आए. मंत्रोच्चार होते ही जिन महिलाओं पर कथित भूत का साया था, वे अपना सिर 180 डिग्री तक धूमा रहीं थी. कथित बाबाओं के चेले घाट के कोने-कोने में स्लीपर सेल की तरह फैले हुए थे. वहीं, भूत भगाने का खेल देखकर सैकड़ों लोगों की भीड़ इन बाबाओं के आसपास लगी रही. गंगा घाटों पर दर्जनों की संख्या में ऐसे नजारे दिखे.

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बुरी आत्माओं की शुद्धि का दावा

एक बाबा ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि कार्तिक पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण की बेला पर काली शक्तियां ज्यादा शक्तिशाली हो जाती है. ऐसी शक्तियों का नाश केवल कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर ही संभव हैय. गंगा-गंडक के संगम पर यह अति प्रभावी होता है. इस दौरान पूरी रात भूत प्रेत से जुड़ी अनुष्ठान चलती है. घाट पर मौजूद तांत्रिक का दावा है कि कार्तिक पूर्णिमा में गंगा स्नान कराकर नई भक्त को सिद्ध किया जाता है. तांत्रिक कहते हैं कि अकाल मृत्यु में मरे हुए लोगों की आत्माओं को सिद्ध किया जाता है. कार्तिक पूर्णिमा पर अनुष्ठान से लोग बिना इलाज कराए ही स्वस्थ हो जाते हैं.

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आधी रात को गंगा तट किनारे झूमते हैं बाबा

आज विज्ञान चांद और चंद्रयान की बातें करती हैं. लेकिन आज भी लोग अंधविश्वास में विश्वास रखते हैं. लाखों की संख्या में श्रद्धालु कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर गंगा घाट पहुंचते हैं. पूरी रात महिला पुरुष सभी तांत्रिक के साथ मिलकर पानी के बीच में झूमते हुए गंगा में डुबकी लगाते हैं. अंधविश्वास से जुड़ी हुई कई अनुष्ठान करते हैं. यहां एक अजीबोगरीब नजारा देखने को मिलता है.

नरमुंड के साथ रात भर की जाती है पूजा

कथित भूत उतरवाने आयी एक महिला ने बताया कि जीवन में परेशानी होने पर कार्तिक पूर्णिमा के दिन घाट पर पहुंचकर पूजा पाठ करते हैं. इससे दिक्कत और परेशानी दूर हो जाती है. इधर, घाट पर मौजूद तांत्रिक दावा करते हैं कि यदि कोई व्यक्ति पागल हो गया तो यहां पर अनुष्ठान करने पर वह ठीक हो जाता है. बता दें कि कार्तिक पूर्णिमा और चंद्रग्रहण के इस मौके पर गंगा के विभिन्न घाटों पर एक से बढ़कर एक बड़े बड़े तांत्रिक पूरी रात इंसानी नरमुंड लेकर चुपचाप पूजा भी करते नजर आए.

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