इसरो द्वारा गुरुवार को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से चांद पर भेजे गए चंद्रयान-3 मिशन (Chandrayaan-3 Mission) में वैज्ञानिकों की टीम में स्थानीय जवाहर नवोदय विद्यालय के पूर्व छात्र व जिले के पुपरी निवासी अरुण चौधरी के होनहार पुत्र रवि कुमार भी शामिल हैं. बताया जा रहा है कि चंद्रयान-3 संभवतः आगामी 23 अगस्त को चांद की सतह पर लैंड करेगा. रवि कुमार फिलवक्त भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में सैटेलाइट साइंटिस्ट है. 2012 में बेंगलुरु में उसने ज्वाइन किया था. 2019 में चंद्रयान-2 में भी रवि शामिल था. इसमें पीएम मोदी ने सबसे व्यक्तिगत मिल कर बधाई दी थी. पिता ने बताया कि वह बचपन से खोजी स्वभाव का था. उसके इस उपलब्धी पर हम सभी को गर्व हो रहा है.
चंद्रयान-3 से जुड़े रवि कुमार के पिता अरुण चौधरी एसबीआइ से रिटायर्ड बैंककर्मी हैं. माता मधुबाला चौधरी गृहिणी हैं. परिजनों के अनुसार रवि ने जवाहर नवोदय विद्यालय, सीतामढ़ी से 2005 में दसवीं व 2007 में 12वीं की परीक्षा पास की थी. 2008 में आइआइटी जेइइ कंप्लीट किया था. 2012 में स्नातक किया. नवोदय विद्यालय के ही पूर्व छात्र अमरेंद्र कुमार ने बताया कि जिले के लिए यह गौरवान्वित पल है. दिन-प्रतिदिन देश के मानचित्र पर जिले की पहचान बनाने के लिए अन्य युवा भी बेहतर प्रयास कर रहे हैं, इसमें रवि कुमार भी हैं. उधर, रवि की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर परिजनों में खुशी की लहर है.
पूरे भारत के लिए शुक्रवार एक ऐतिहासिक दिन था. चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग का गवाह बनने के लिए हजारों लोग सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र पहुंचे. उत्साही अंतरिक्ष प्रेमियों ने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच एलवीएम3 रॉकेट को चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष की ओर ले जाते देखा. तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक से 10,000 से अधिक लोग सुबह से ही यहां जमा थे. इन्हें सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के मुख्य प्रवेश द्वार के निकट इसरो द्वारा निर्धारित एक गलियारे से प्रक्षेपण देखने की अनुमति दी गयी थी. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बधाई देते हुए कहा चंद्रयान-3 का सफल प्रक्षेपण कर इसरो ने अंतरिक्ष में एक नया इतिहास रचा है. यह पूरे देश के लिए गर्व की बात है. यह इसरो के वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत का नतीजा है, जिसके लिए वे बधाई के पात्र हैं.
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चंद्रयान-3 मिशन में एक स्वदेशी प्रणोदन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और एक रोवर शामिल है जिसका उद्देश्य अंतर-ग्रहीय अभियानों के लिए आवश्यक नयी प्रौद्योगिकियों को विकसित करना और प्रदर्शित करना है. सोमनाथ ने बताया कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के बाद इसके भीतर से रोवर बाहर निकलेगा और चंद्र सतह पर चहल कदमी कर अपने उपकरण-एपीएक्सएस-एल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर की मदद से 14 दिनों तक अन्वेषण कार्य को अंजाम देगा. मिशन के जरिये इसरो चंद्रमा पर पानी और खनिज की मौजूदगी की जांच करना चाहता है. अगर दक्षिणी ध्रुव पर पानी और खनिज मिलता है, तो यह विज्ञान के लिए बड़ी कामयाबी होगी. नासा के मुताबिक, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ है और यहां कई और खनिज संपदा मौजूद हो सकती है.
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चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी है. इसरो चीफ सोमनाथ ने सफल लॉन्चिग को लेकर कहा एलवीएम3 ने चंद्रयान-3 यान को पृथ्वी के चारों ओर सटीक रूप से स्थापित कर दिया है. उन्होंने कहा कि आइए हम चंद्रयान-3 यान को अपनी दूर की कक्षा में पहुंचने के लिए शुभकामनाएं दें. बता दें, चंद्रयान-3 अगस्त के तीसरे हफ्ते तक चांद में पहुंचेगा. पूरी दुनिया की निगाहे भारत के इस अभियान पर टिक गई है. चंद्रयान चंद्रमा के उस हिस्से में उतरने वाला है जहां आज तक कोई नहीं पहुंच पाया है.