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बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया में किया गया बदलाव, अब यहां देनी होगी अर्जी, जानें क्या है नया नियम

बच्चों को कानूनी ढंग से गोद लेने की प्रक्रिया में कुछ बदलाव किये जाने के बाद मंगलवार को पहली बार डीएम की अदालत में सुनवाई हुई. डीएम के आदेश पर बक्सर की एक महिला को करीब चार वर्षीय एक अनाथ बालक को गोद दिया गया.

भागलपुर. बच्चों को कानूनी ढंग से गोद लेने की प्रक्रिया में कुछ बदलाव किये जाने के बाद मंगलवार को पहली बार डीएम की अदालत में सुनवाई हुई. डीएम के आदेश पर बक्सर की एक महिला को करीब चार वर्षीय एक अनाथ बालक को गोद दिया गया. इससे पहले डीएम ने दत्तक ग्रहण विनियमन 2022 के तहत तमाम प्रोसीजर पर गौर किया और तमाम कार्रवाई उपयुक्त पाये जाने के बाद गोद देने का आदेश दिया. इससे पहले उक्त बालक विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान, नाथनगर में पल रहे थे और अब उन्हें मां की गोद मिल चुकी है. अब वे अपनी मां के घर में रहेंगे.

डीएम कोर्ट में देनी होगी अर्जी

ज्ञात हो कि उक्त विनियमन लागू हो जाने से बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया और आसान हो गयी है. इसके तहत अब गोद लेने के लिए डीएम की कोर्ट में अर्जी देनी होगी और यहीं से गोद दी जा सकेगी. पूर्व में दत्तक ग्रहण का वाद दत्तक ग्रहण संस्थान की ओर से परिवार न्यायालय में दायर किया जाता था. न्यायालयों में लंबे समय तक वाद लंबित रहने के कारण इच्छुक माता- पिता विलंब से बच्चे गोद ले पा रहे थे.

बड़ी संख्या में गोद लेनेवाले माता-पिता कतार में है

बच्चे को गोद लेनेवाले माता-पिता बड़ी संख्या में पंजीकरण कराने के बाद कतार में हैं, जबकि गोद दिये जानेवाले बच्चों की संख्या कम है. प्रक्रिया में होनेवाले विलंब के कारण दत्तक ग्रहण का इंतजार कर रहे हैं. बच्चों को एक परिवार समय पर नहीं मिल पा रहा था. अब दत्तक ग्रहण विनियमन 2022 के लागू होने के बाद दत्तक ग्रहण से संबंधित अर्जी परिवार न्यायालय में नहीं दायर कर डीएम के न्यायालय में दायर की जा रही है.

क्या होगी गोद लेने की प्रक्रिया

1. अब दत्तक संबंधी दत्तक संरक्षण इकाई के माध्यम से डीएम के न्यायालय में दायर किया जायेगा.

2. दत्तक ग्रहण विनियमन 2022 की अर्जी विशेष दत्तक ग्रहण संस्थान की ओर से दायर की जाती है.

3. बाल संरक्षण इकाई द्वारा संलग्न दस्तावेजों की जांच की जाती है.

4. स्क्रूटनी के बाद जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा जिलाधिकारी को दत्तक ग्रहण आदेश के लिए प्रस्तुत किया जाता है.

5. डीएम द्वारा वाद दायर की तिथि से दो माह के अंदर दत्तक ग्रहण आदेश पारित किये जाने का प्रावधान है.

6. विशेष बच्चे की स्थिति में सिविल सर्जन द्वारा त्वरित जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराने का प्रावधान है.

दत्तक ग्रहण क्या है ?

दत्तक ग्रहण ऐसी प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से दत्तक बालक उसके ”जैविक माता-पिता से स्थायी रूप से अलग होकर, सभी अधिकारों और उत्तरदायित्वों के साथ अपने दत्तक माता-पिता का जैविक बालक की तरह विधिवत पुत्र या पुत्री बन जाता है.

गोद लेने के लिए सबसे पहले पंजीकरण जरूरी

दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया को सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (कारा) द्वारा नियमित किया जाता है. इसके लिए सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी ने एक पोर्टल केयरिंग्स के नाम से विकसित किया है. गोद लेने के लिए इच्छुक माता-पिता इस पोर्टल के माध्यम से अपना पंजीकरण कराने के बाद गोद लेने की प्रक्रिया में सम्मिलित हो सकते हैं. सामान्यत अधिक उम्र के मां-पिता को अधिक उम्र का बच्चा दत्तक ग्रहण में प्राप्त होता है. एकल मां या पिता की उम्र 55 वर्ष और दोनों दंपती की उम्र का योग 110 वर्ष होने तक ही बच्चा गोद ले सकते हैं. एकल पुरुष बालिका को गोद नहीं ले सकते हैं. माता-पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी होनी चाहिए और उन्हें संक्रामक रोग से मुक्त होना चाहिए. रजिस्ट्रेशन के एक माह के अंदर इच्छुक मां-पिता को कुछ दस्तावेज अपलोड करने पड़ते हैं.

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