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घर पर ब्लड प्रेशर की जांच कहीं बिगाड़ ने दे आपकी सेहत, जानिए बीपी के बारे में क्या कहते हैं विशेषज्ञ

आइजीआइएमएस हृदय रोग विभाग के हेड डॉ रवि विष्णु ने बताया कि समय पर बीपी का इलाज कराना जरूरी है. बीमारी का सटिक इलाज जांच पर निर्भर करता है. बीपी की गलत रीडिंग इलाज की दिशा बदल देती है.

पटना. यदि आप ब्लड प्रेशर (बीपी) के मरीज हैं और इसकी नियमित मॉनिटरिंग के लिए घर पर ही बीपी उपकरण का इस्तेमाल कर दवा खा रहे हैं तो अलर्ट हो जाएं. जरा सी चूक सेहत पर भारी पड़ सकती है. लिहाजा आप घर में बीपी नापने से पहले डॉक्टर से सलीका सीखे लें. क्योंकि गलत माप सेहत पर भारी पड़ सकती है. गलत बीपी नापने और बाद में तबीयत खराब होने के इस तरह के मामले शहर के आइजीआइएमएस, पीएमसीएच आदि सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में आ रहे हैं. सबसे अधिक मामले आइजीआइएमएस व आइजीआइसी के हृदय रोग, न्यूरो व फिजियोथेरेपी विभाग में आये हैं. जहां बाद में मरीज को वार्डों में भर्ती करना पड़ा है.

गलत इलाज का असर किडनी, दिमाग व दिल पर

आइजीआइएमएस हृदय रोग विभाग के हेड डॉ रवि विष्णु ने बताया कि समय पर बीपी का इलाज कराना जरूरी है. बीमारी का सटिक इलाज जांच पर निर्भर करता है. बीपी की गलत रीडिंग इलाज की दिशा बदल देती है. उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में लोग बीपी की माप नहीं ले पाते हैं. पारे वाली मशीन से जांच सटीक आती है. अच्छी इलेक्ट्रॉनिक मशीन भी सही रिपोर्ट देती है. लेकिन मापने का तारीका सही होना चाहिए. गलत इलाज का असर किडनी, नसों, दिल और दिमाग पर पड़ता है.

केस 1

बिहारशरीफ के रहने वाले 77 वर्षीय अनिल कुमार सिंह का इलाज आइजीआइएमएस के फिजियोथेरेपी विभाग के सीनियर डॉ रत्नेश चौधरी की देखरेख में किया गया. तबीयत खराब होने के बाद एके सिंह के बेटे ने घर पर ही इलेक्ट्रॉनिक मशीन से उनका बीपी 160/80 व 200/110 बता रहा था. डॉक्टरों ने मुताबिक दो मिनट के अंतराल में ही उनका बीपी चार तरह का रीडिंग बतायी. हालत खराब होने के बाद उनको आइजीआइएमएस लेकर आया गया. जहां बीपी बढ़ने के बाद उनको लकवा की शिकायत बतायी गयी. तीन दिन भर्ती कर इलाज किया गया.

केस 2

कंकड़बाग स्थित अशोक नगर के रहने वाले 64 साल के राजकुमार कुमार बीपी के मरीज हैं. घर पर मशीन से चेक कर दवा का सेवन करते थे. उनके बेटे अजीत कुमार ने बताया कि पहली बार मशीन से जांच में यह 140/100 से अधिक आया. दुबारा जांच की तो यह 130/92 आ गया. तीसरी बार जांच में यह 130/85 बताया गया. अंत में मैन्यूअल बीपी मापक से जांच की गयी तो यह 130/80 आया. मैन्यूल से दुबारा जांच करने पर भी यही बीपी पाया गया.

कब कब जांच जरूरी है

  • आठ से 11 साल के बच्चों का बीपी हर तीन साल में मापे

  • 12 से 19 साल के बच्चे का साल में एक बार मापे

  • 20 से 34 साल के लोग 6 माह में एक बार बीपी की जांच करें

  • 35 से अधिक उम्र के लोग कम से कम 6 माह में एक बार बीपी मापे

  • हाइपरटेंशन के मरीज परिवार में है उनके सदस्य एक सप्ताह में बीपी की जांच जरूर करवाएं

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