Bihar: छपरा में दिसंबर माह में हुए जहरीली शराबकांड की जांच रिपोर्ट केंद्र की मानवाधिकार आयोग (NHRC) की टीम ने प्रस्तुत की है. रिपोर्ट की जानकारी देते हुए सारण सांसद सह पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रुडी ने कहा कि इस मामले में केंद्रीय टीम बिहार भेजने की मांग सदन में उठायी थी, जिसके बाद जांच के लिए यह टीम सारण पहुंची थी. मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में स्थानीय प्रशासन की उदासीनता साफ झलक रही है. सांसद ने बताया कि रिपोर्ट में कुल 77 लोगों की मौत का उल्लेख किया गया है, जिसमें साफ-साफ लिखा गया है कि मरने वालों में किसान, मजदूर, ड्राइवर, चाय बेचने वाले, फेरीवाले, बेरोजगार थे. रिपोर्ट में यह साफ बताया गया है कि पीड़ितों में 75 फीसदी पिछड़ी जातियों से थे.
NHRC की रिपोर्ट आने के बाद जिला प्रशासन की जांच और मौत के आकंड़ों पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है. रिपोर्ट में इस बात का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि जांच करने पहुंची टीम को राज्य सरकार से कोई सहयोग प्राप्त नहीं हुआ. पटना उच्च न्यायालय की टिप्पणी का जिक्र किया गया है, जिसमें कोर्ट ने राज्य में पूर्ण शराबबंदी कानून को लागू करने में सरकार की विफलता बताया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्ण शराबबंदी कानून का राज्य में कार्यान्वयन पूरी तरह से उत्पाद आयुक्त की जिम्मेदारी है. रिपोर्ट में आयोग ने पीड़ितों के परिवार के पुनर्वास के लिए चार-चार लाख मुआवजा देने की मांग की है.
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रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश मृतक पीड़ित परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे, जिनके आश्रितों के रूप में उनकी पत्नियों और दो-तीन नाबालिग बच्चे भी थे. उनके रहने की स्थिति ज्यादातर की खराब थी. उनमें से कुछ नियमित रूप से शराब का सेवन करते थे, तो कुछ कभी-कभार. सांसद ने इसकी जांच के लिए सदन में केंद्रीय टीम भेजने की मांग की थी, जिसके बाद मानवाधिकार आयोग की टीम सारण में आयी थी और छपरा सदर अस्पताल, मशरक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र समेत तरैया, अमनौर, इसुआपुर आदि प्रभावित गांवों में जाकर मृतकों के परिजनों से मिली थी.