छपरा की सबिता पहली महिला साइकिलिस्ट बनीं, दुनिया की सबसे ऊंची सड़क ‘उमलिंगला’ पर पहुंची

सबिता महतो ने अपनी यात्रा नयी दिल्ली से पांच जून को शुरू की और 28 जून को यहां पहुंच गयीं. इस यात्रा को रोडिक ने स्पांसर किया था. इससे पहले साल 2020 में बीआरओ ने यह रोड बनाया था, जिसके बाद इसे 2021 में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया.

By Prabhat Khabar News Desk | June 30, 2022 10:42 AM

जूही स्मिता/ पटना. अगर दिल में जुनून हो और हौसले बुलंद हों, तो आप तय लक्ष्य तक जरूर पहुंचते हैं. छपरा की साइकिलिस्ट सबिता महतो ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है. वह दुनिया की सबसे ऊंची सड़क उमलिंगला पर साइकिल से सफर तय करने वाली दुनिया की पहली महिला साइकिलिस्ट बन गयी हैं. यहां तक पहुंचने के लिए वह पास रोथन ला, बरलाचल, नाकिला, लाचुनला, तनलंगला और नोरबुला को पार करते हुए उमलिंगला के पास पहुंचीं.

चार सालों से साइकिलिंग कर दे रही महिला सशक्तीकरण का संदेश

सबिता महतो ने अपनी यात्रा नयी दिल्ली से पांच जून को शुरू की और 28 जून को यहां पहुंच गयीं. इस यात्रा को रोडिक ने स्पांसर किया था. इससे पहले साल 2020 में बीआरओ ने यह रोड बनाया था, जिसके बाद इसे 2021 में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया. सबिता भी जल्द गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड के लिए अप्लाइ करेंगी. सबिता का सपना माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराने का है.

पिता सड़क किनारे लगाते हैं मछली की दुकान

सबिता के पिता की सड़क किनारे मछली की दुकान लगाते हैं. सबिता ने टाटा स्टील में नौकरी छोड़कर साइकिलिंग करने का मन बनाया. उन्होंने ऑल इंडिया ट्रेवलिंग के दौरान 12500 किलोमीटर की दूरी तय की है. वह पहली भारतीय लड़की हैं, जिन्हें 12500 किलोमीटर की यात्रा तय करने का खिताब मिला है. विभिन्न राज्यों के अलावा अन्य देश जैसे श्रीलंका, भूटान, नेपाल समेत पूरे देश का भ्रमण कर चुकी हैं. अब तक साइकिल से उन्होंने 35000 किलोमीटर की दूरी तय की है.

एक पैर से कूद-कूद कर दो किमी दूर स्कूल जाती है सीवान की प्रियांशु

सीवान. हौसले बुलंद हो, तो कठिन राह भी आसान हो जाती है. इस बात को 11 वर्षीया दिव्यांग छात्रा प्रियांशु ने चरितार्थकिया है. प्रियांशु में पढ़ाई की इतनी ललक है कि वह एक पैर पर हर दिन दो किलोमीटर का सफर तय कर स्कूल जाती है. जीरादेई प्रखंड के बनथु श्रीराम गांव की रहने वाली प्रियांशु अन्य छात्राओं के लिए प्रेरणा बन गयी है.

छपरा की सबिता पहली महिला साइकिलिस्ट बनीं, दुनिया की सबसे ऊंची सड़क ‘उमलिंगला’ पर पहुंची 2
डॉक्टर बनना है प्रियांशु का लक्ष्य

प्रियांशु ने बताया कि एक पैर से कूद-कूद कर स्कूल जाने में परेशानी होती है. प्रशासन की ओर से कृत्रिम पैर लग जाता, तो परेशानी कम हो जाती. जन्म से ही प्रियांशु का बायां पैर काम नहीं करता था. वह बनथु श्रीराम गांव के निजी विद्यालय में पढ़ने जाती है. पांचवीं की छात्रा प्रियांशु ने कहा कि एक पैर पर संतुलन बनाते हुए रोजाना करीब दो किलोमीटर की दूरी तय करती हूं. प्रियांशु का लक्ष्य डॉक्टर बनना है.

Next Article

Exit mobile version