Chhath Puja 2020 : आठ वर्षों से छठ कर रही हैं आंध्र प्रदेश मूल की आइएएस अधिकारी डॉ एन विजयालक्ष्मी, जानें कैसे जगी आस्था
दक्षिण भारत के आंध्रप्रदेश की मूल निवासी डॉ एन विजयालक्ष्मी 1995 बैच की आइएएस अधिकारी हैं.
साकिब, पटना : लोक आस्था के महापर्व छठ की महिमा ही कुछ ऐसी है कि जिसने भी इसे करीब से जाना, वह इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रहा. राज्य की वरिष्ठ आइएएस अधिकारी डॉ एन विजयालक्ष्मी पिछले आठ वर्ष से लगातार छठ पूजा कर रही हैं.
दक्षिण भारत के आंध्रप्रदेश की मूल निवासी डॉ एन विजयालक्ष्मी 1995 बैच की आइएएस अधिकारी हैं. 2013 से उन्होंने पहली बार छठ किया था, तब से लेकर आज तक छठ करीब आते ही वे इसकी तैयारी में लग जाती हैं.
नहाय-खाय के दिन से लेकर पूरे चार दिनों तक पूरी आस्था और विश्वास के साथ छठ करती हैं. अक्सर वे छठ व्रत के दौरान ऑफिस से जुड़े काम भी पूरी जिम्मेदारी के साथ ही करती रहती हैं.
बुधवार से छठ की शुरुआत हो गयी है, इस दिन भी वे सुबह समय से ऑफिस चली गयीं. वहां के काम निपटा कर फिर घर लौटीं और छठ से जुड़े काम में फिर लग गयीं. प्रभात खबर से बातचीत में उन्होंने छठ से जुड़े कई अनुभवों को साझा किया.
नहीं लगता कि वे बिहार की मूल निवासी नहीं हैं
इन्हें छठ करता देख कोई नहीं कह सकता कि वे बिहार की मूल निवासी नहीं है. इस काम में उन्हें पूरा सहयोग उनके पति और सीनियर आइएएस अधिकारी डॉ एस सिद्धार्थ करते हैं, जो कि खुद तमिलनाडु मूल के हैं. यह आइएएस दंपती लंबे समय से बिहार में हैं और बिहार की संस्कृति को पूरी तरह अपना चुके हैं.
स्वच्छता, पवित्रता और परस्पर सहयोग का पर्व है छठ
मेरा मानना है कि छठ हमें जीवन में अनुशासन सिखाता है. छठ के चार दिनों में चारों ओर पॉजिटिव ऊर्जा महसूस होती है. प्रकृति के प्रति लगाव का एहसास होता है. इन दिनों व्रती अध्यात्मिकता के ज्यादा करीब हो जाते हैं. हर ओर स्वच्छता, पवित्रता और परस्पर सहयोग की भावना होती है.
इन दिनों अपराध काफी कम हो जाते हैं. मुझे लगता है कि छठ हमें बेहतर जीवनशैली की सीख देता है. पूरा बिहार चार दिनों तक एकत्र होकर सूर्य की उपासना करता है. यह पर्व हमें जीवन में संयम और प्रकृति का सम्मान करना सिखाता है. मुझे लगता है कि छठ के दिनों में जो माहौल रहता है, वैसा वर्ष भर रहना चाहिए.
Posted by Ashish Jha