पटना. महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान शुक्रवार को सर्वार्थ सिद्धि योग में नहाय-खाय से शुरू हो गया. शुक्रवार अहले सुबह व्रतियों ने गंगा नदी और जल में गंगाजल मिलाकर स्नानकर अरवा चावल, चना दाल, लौकी की सब्जी, आंवले की चासनी का प्रसाद ग्रहण कर व्रत की शुरुआत की. कार्तिक शुक्ल पंचमी यानी शनिवार को लोहंडा (खरना) में व्रती पूरे दिन का उपवास कर शाम में पूजा कर प्रसाद ग्रहण करेंगी.
इसके साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास का संकल्प लेंगी. कल सूर्य षष्ठी रविवार 30 अक्तूबर की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जायेगा. चतुर्थ दिवसीय अनुष्ठान के अंतिम दिन सप्तमी यानी सोमवार 31 अक्तूबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जायेगा. वहीं, आचार्य राकेश झा ने बताया कि छठ महापर्व खासकर शरीर, मन तथा आत्मा की शुद्धि का पर्व है. मान्यताओं के अनुसार श्रद्धापूर्वक व्रत-उपासना करने वाले व्रतियों तथा श्रद्धालुओं पर खरना से छठ के पारण तक छठी माता की कृपा बरसती है. प्रत्यक्ष देवता सूर्य को पीतल या तांबे के पात्र से अर्घ देने से आरोग्यता कावरदान मिलता है.
बता दें कि लोक आस्था के महापर्व को लेकर राजधानी पटना में काफी रौनक है. दो साल बाद बड़े स्तर पर शहर के विभिन्न घाटों पर तैयारी की गयी है. कोरोना काल के बाद इस बार छठ को लेकर पटनाइट्स में भी जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है. इस पर्व के प्रति लोगों में इतनी ज्यादा आस्था और मान्यता है कि हर साल हजारों लोग पहली बार व्रत करते हैं. वहीं, कई ऐसे लोग भी हैं जो लगभग 20 साल से लगातार इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं. कई परिवार और समुदाय ऐसे भी हैं जो इस कठिन व सात्विक व्रत को पूरे भक्ति भाव व आस्था के साथ करते हैं.