Chhath Puja 2022: लंदन में इस बार बड़े स्तर पर होगा छठ का आयोजन, जानें क्या है खास तैयारी
Chhath Puja 2022: लंदन में इस बार बड़े स्तर पर छठ का आयोजन होगा. बिहार के लोग देश से लेकर विदेश तक जहां कही भी गए, अपनी संस्कृति भी साथ लेते गए. यह एकमात्र ऐसा त्योहार है, जिसमें उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.
आनंद तिवारी
बिहार का मुख्य त्योहार छठ पूजा इस बार लंदन में भी दिखेगा. इस वर्ष पहली बार इंग्लैंड में बिहारी कनेक्ट यूके ग्रुप द्वारा बड़े स्तर पर छठ का आयोजन किया जा रहा है, जिससे सभी प्रवासी बिहारी अपने इस महापर्व का मिलजुल कर आनंद ले सकेंगे. इसकी जानकारी लंदन में रह रहे बिहारी कनेक्ट (UK) के प्रेसिडेंट डा. उदेश्वर कुमार सिंह, के साथ ग्रुप के सदस्य कैप्टन ओम प्रकाश, अजय कुमार, संदीप गुप्ता, डा. बिरेंद्र राय, राजीव सिंह एवं विजय राय ने दी. छठ पूजा सूर्य उपासना का महापर्व है. यह त्योहार चार दिन तक मनाया जाता है. छठ पूजा का महापर्व लोगों का प्रकृति के प्रति समर्पण भाव को दर्शाता है. बिहार के लोग देश से लेकर विदेश तक जहां कही भी गए, अपनी संस्कृति भी साथ लेते गए. यह एकमात्र ऐसा त्योहार है, जिसमें उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. पूरी दुनिया को सूर्य का महत्व बताना ही इस महान पर्व का लक्ष्य है. इस वर्ष छठ महापर्व 28 अक्टूबर से शुरू हो रहा है और 31 अक्टूबर को सूर्योदय के समय उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद समाप्त होगा.
इस साल लंदन में 15 परिवार से अधिक लोग एक साथ छठी मइया का व्रत करेंगे. आयोजकों द्वारा सभी व्रतियों के लिए एक रिसॉर्ट में रहने का प्रबंध किया गया है. जो श्रद्धालु इस पर्व को देखने आ रहे है. उनके लिए आसपास के होटल बुक किये गए है. वहीं, पूजा की अधिकतम सामग्री भारत से मगवाई जा रही है. फलों में शरीफा, नाशपाती और बड़ा वाला डाभ या नींबू, सुथनी, शकरकंदी, मूली, बैंगन, ईख समेत अन्य पूजन सामग्री मंगाया गया है.
लंदन में रहने वाले सभी बिहार के लोगों तक पहुंचेगा प्रसादपूजा में किसी प्रकार की कोई रुकावट नहीं आए, इसके लिए कई स्वयंसेवी इन तीनों दिन उपलब्ध रहेंगे. ये सभी स्वयंसेवी व्रत का प्रसाद बनाने से लेकर श्रद्धालुओं के सफल आवा-गमन को संचालित करेंगे. इसके साथ ही संध्या अर्घ्य के दिन हजारों की संख्या में ठेकुआ बनाने का प्रबंध किया जा रहा है, जिसे इंग्लैंड में रहने वाले सभी बिहार वासियों के घर प्रसाद स्वरुप भेजा जायेगा, ताकि वे देश से बाहर रहकर भी अपने आप को इस महापर्व का हिस्सा समझ सके.