Chhath puja: लोक आस्था के पावन पर्व छठ पूजा का आज दूसरा दिन है. इस दिन खरना मनाया जाता है. इस दिन छठी मैया के लिए गुड़ की खीर का खास प्रसाद बनाया जाता है. इस पर्व में शुद्धता का विशेष महत्व होता है. नहाय खाय के साथ शुरु होने वाला यह चार दिवसीय व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है. लेकिन पूजा सर्वशक्तिमान सूर्य की हो तो, शरीर की सत्ता मायने नहीं रखती है. इस व्रत में अलग-अलग तरह के पूजन सामग्रियों का इस्तेमाल किया जाता है. भगवान सूर्य को वे सारे फल अर्पित किये जाते हैं, जिनकी कृपा से वे धरती वासियों को चखने के लिए मिले हैं. छठ पूजा में एक खास पूजन सामग्री का अरता का प्रयोग किया जाता है. मान्यता है कि इस अरता पात के बिना छठ व्रत अधूरी मानी जाती है.
बता दें कि छठी मैया को पूजा में रूई से बना एक खास सामग्री चढ़ाया जाता है. जो गोलाकार आकृति में होता है. मान्यता है कि रूई से बने इस खास पूजन सामग्री छठी मैया को काफी पसंद है. माता इससे जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं. बिहार में इसका उत्पादन विशेष तौर पर छपरा के अवतारनगर थाना क्षेत्र के झौवा गांव और आसपास के इलाके में होती है. अरता को अकवन के रूई से तैयार किया जाता है. अवतारनर थाना क्षेत्र में कई परिवार अरता के निर्माण में जुटे रहते हैं. अरता का निर्माण कर ही, ये परिवार अपने परिवार को चलाते हैं.
अरता पात का निर्माण करने वाले लोगों को कहना है अवतार नगर थाना क्षेत्र में दर्जनों परिवार इसके निर्माण में जुटे हुए हैं. छठ व्रत में अरता पात के बिना पूजन अधूरी मानी जाती है. छठी मैया को आरता पात काफी पसंद है. इसके निर्माण में भी साफ-सफाई का खास ख्याल रखा जाता है. क्योंकि इस व्रत में सबसे ज्यादा अहमियत शुद्धता का ही होता है. इस अरता पात को अकवन के रूई से तैयार किया जाता है. अरता पात का निर्माण अब अवतार नगर थाना क्षेत्र में धीरे-धीरे ग्रामीण कुटीर उद्योग का रूप ले लिया है. अरता पात बनाने वाले लोग कहते हैं. इसके निर्माण से उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है. सरकार की ओर से उनको किसी तरह का मदद नहीं मिलता है.
झौआ गांव में अरता का निर्माण करने वाले परिवारों का कहना है कि इस गांव में सभी जाति और धर्म के लोग मिलकर सालों पर अरता पात बनाते हैं. इसी के निर्माण से वे अपने परिवार को चलाते हैं. छठ पूजा के दौरान अरता पात की विशेष मांग होती है. ऐसे में वे लोग दिन-रात अरता पात का निर्माण करते हैं. गांव में बिहार के दूर-दारज इलाके से व्यापारी आते हैं और यहीं से अरता पात की खरीदारी कर देश के कोने-कोने में सप्लाई करते हैं. लोगों ने बताया कि झौआ गांव में लगभग 150 साल से अरता पात का निर्माण कार्य जारी है. ज्यादातर परिवारों के लिए यही जीविका है.
अकवन की रुई से अरता पात बनाया जाता है लेकिन इसे बनाने में मजदूरों को कई तरह बीमारियां भी होती है. इसके उपयोग को सुरक्षित करने के लिए उपाय करने की जरूरत है. झौवा गांव में इसे दर्जनों परिवार मिलकर बनाते हैं. इन परिवारों ने सरकार से विशेष मदद करने की गुहार में लगायी है.