Chhath puja 2022: हो दीनानाथ…पटना के 14 छठ घाटों को जिला प्रशासन ने खतरनाक घोषित किया, देखें सूची

Chhath puja 2022: इस बार 28 अक्टूबर को नहाय-खाए अनुष्ठान के साथ छठ महापर्व आरंभ होगा. लेकिन राजधानी पटना में गंगा के घटते-बढ़ते जलस्तर ने टेंशन बढ़ा रखी है. इन सब के बीच पटना के डीएम ने राजधानी के कुल 14 घाटों को खतरनाक घाट घोषित किया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 20, 2022 8:47 PM

Chhath puja 2022: इस बार 28 अक्टूबर को नहाय-खाए अनुष्ठान के साथ छठ महापर्व आरंभ होगा. लेकिन राजधानी पटना में गंगा के घटते-बढ़ते जलस्तर ने टेंशन बढ़ा रखी है. जिले के गंगा घाट पर अब धीरे-धीरे गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे हो रहा है. लेकिन घाट पूरा किचड़मय है. ऐसे में घाटों को समय रहते दुरुस्त करना जिला प्रशासन के लिए एक चुनौती से कम नहीं है. इन सब के बीच पटना के डीएम चंद्रशेखर सिंह ने पटना के 14 घाटों को खतरनाक घाट घोषित किया है. हालांकि आगे की स्थिति को देखकर घाटों की अंतिम स्थिति के बारे में सूचना दी जाएगी

सूची में हो सकता है परिवर्तन

पटना के छठ घाटों की स्थिति के बारे में पटना के डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि जिला प्रशासन लोक आस्था का महा पर्व को सकुशल और शांति पूर्ण तरीके से संपन्न कराने के लिए प्रतिबद्ध है. फिलहाल छठ घाटों की प्रारंभिक सूची बनाई गयी है. आगामी दो दिनों में गंगा के जलस्तर में और तेजी से कमी आने की संभावना है. संभव है कि सूची में परिवर्तन हो. उन्होंने आगे कहा कि पटना में बड़ी संख्या में लोग छठ व्रत करते हैं. उनकी सुविधा को देखते हुए जिला प्रशासन हर संभव कदम उठा रही है. वर्तमान स्थिति के मद्देनजर कुल 14 घाटों को खतरनाक घाट घोषित किया गया है.

खतरनाक घाटों की सूची

  • कुर्जी घाट

  • राजापुर पुल घाट

  • बांस घाट

  • पहलवान घाट

  • महेंद्रू घाट व अन्य

चार दशक बाद गंगा ने बढ़ाई टेंशन

गौरतलब है कि छठ पूजा से ठीक पहले पटना के विभिन्न घाटों पर अभी भी गंगा का पानी लबालब भरा हुआ है. जानकार बताते हैं कि लगभग चार दशक बाद ऐसा नजारा देखने को मिल रहा है. जब सितंबर-अक्टूबर में गंगा नदी पटना के घाटों के पास हो. अमूमन अगस्त के बाद गंगा घाटों से काफी दूर चली जाती है. गंगा के इस नए रौद्र रूप के चलते पटना समेत पूरे बिहार में छठ के आयोजन में एक बड़ी बाधा उत्पन्न हो रही है. हालांकि अब गंगा नदी के जलस्तर में तेजी से कमी देखने को मिल रही है. लेकिन चुनौतियां अभी भी बरकरार है.

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