पटना. इस बार वंशी व काली घाट को एक साथ मिला कर तैयार किया जा रहा है. दोनों घाटों को मिल कर लगभग 1000 फुट घाट की लंबाई मिल रही है. इन घाटों की सफाई और गाद हटायी जा रही थी. वहां मौजूद काम कराने वाले लोगों ने बताया कि हर दिन तेजी से पानी घट रहा है. अनुमान से है कि छठ तक लगभग पांच फुट पानी घट जायेगा. इस घाट पर आने के लिए पटना विवि के कॉलेजों में पार्किंग की व्यवस्था होगी.
काली घाट के आगे कदम घाट, पटना कॉलेज और कृष्णा घाट एक साथ लगे हुए हैं. इन घाटों की लंबाई लगभग 1200 फुट है. वर्तमान में इन घाटों पर आठ सीढ़ियों के बाद गंगा का जल स्तर बना हुआ है. निगम की ओर से घाटों की सफाई की जा रही है. घाट पर काम कराने वाले संवेदकों ने बताया कि फिलहाल हमलोग घाट को साफ कर रहे हैं. आज के बाद पानी में बैरिकेडिंग की जायेगी. बैरिकडिंग के साथ बांस की चाली लगाने का काम किया जायेगा. यहां आने वाले व्रतियों के लिए चेंजिंग रूम आदि की सुविधा रहेगी. 28 अक्तूबर तक ये घाट तैयार हो जायेंगे.
पटना सिटी के घाटों को छोड़ दिया जाये, तो इस क्षेत्र का सबसे बढ़ा घाट एनआइटी गांधी घाट है. इस घाट तक आने के लिए वाहन की सुविधा होगी. इस घाट पर ही एनडीआरएफ व जिला प्रशासन का कंट्रोल रूम बनाया जायेगा. फिलहाल यहां से गंगा उस पार जाने के लिए नाव का परिचालन किया जा रहा है. जानकारों की मानें, तो इस घाट पर सबसे अधिक भीड़ होती है. गांधी घाट से सटे हुए घाट बहरवा, गोलकपुर और रानी घाट पर जाने के लिए एनआइटी घाट से भी जाने की सुविधा रहेगी. ये सभी घाट आपस में कनेक्ट हैं. इन घाट पर भी सफाई का काम चालू है.
इस बार कलेक्ट्रेट से लेकर महेंद्रू तक यानी कलेक्ट्रेट, अंटा, बीए कॉलेज घाट और महेंद्रू घाट के पास इस बार पानी भरा हुआ है. चूंकि हर बार कलेक्ट्रेट से लेकर महेंद्रू के पक्के घाटों से दो किमी दूर गंगा की धारा पर कच्चे घाटों में छठ का आयोजन होता है.