Chhath Puja 2023: बिहार के आरा में राज्य का सबसे अलग छठ घाट मौजूद है. यहां हिन्दू, मुसलमान और ईसाई का मिलन होता है. कलक्ट्रेट सूर्य मंदिर तलाब घाट से प्रसिद्ध इस घाट पर एक तरफ भगवान भास्कर का मंदिर है. वहीं, दूसरी तरफ मस्जिद है और तीसरी तरफ चर्च स्थित है. छठ महापर्व में यहां का नजारा काफी अद्भत होता है. कहा जाता है कि कलक्ट्रेट सूर्य मंदिर घाट आपसी सौहार्द का प्रतीक है. छठ महापर्व पर इस घाट पर जिला प्रसाशन और समाज सेवियों के द्वारा भी विशेष आयोजन किया जाता है.
कलक्ट्रेट सूर्य मंदिर का कई कारणों से प्रसिद्ध है. सबसे पहले यहां का दृश्य मनोरम है, दूसरा यह धर्मो के सौहार्द का प्रतीक है, तीसरा तलाब के चारो तरफ घाट होने से दृश्य मनोरम लगता है. साथ ही यहां चारो तरफ मास्क लाइट लगने के वजह से दूधिया रौशनी से जगमगा जाता है. छठ के दिन एसडीआरएफ और प्रसाद वितरण के साथ अर्घ देने के लिए दूध का भी वितरण किया जाता है.
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कलक्ट्री तालाब के पूरब- उत्तर छोर पर करीब वर्ष 1982 में भगवान सूर्य के मंदिर का निर्माण कराया गया. इसके बाद वर्ष 1999 में मंदिर को भव्य रूप देकर भगवान भास्कर की रथ वाली प्रतिमा लगाई गई. यहां छठ व्रतियों के लिए चारों तरफ से पक्कीकरण छठ घाट की व्यवस्था है. शहर के कोने -कोने से व्रती और भक्त माथे पर दउरा लेकर अर्ध्य देने के लिए आते हैं. तालाब के पूरब छोर पर स्थापित जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा छठ घाट के रौनक में चार चांद लगा देती है. घाट के चारों तरफ से स्ट्रीट लाइट की भी व्यवस्था की गई है. भोजपुर जिले में यह ऐसा घाट है, जिसके एक छोर पर सूर्य मंदिर तो दूसरे छोर पर मस्जिद और तीसरे छोर पर चर्च है. सात घोड़ों से युक्त रथ पर विराजमान भगवान सूर्य की प्रतिमा देखते ही बनती है.
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स्थानीय युवा विशाल सिंह ने बताया कि जब से हम बड़े हुए तब से सिर्फ इस घाट पर ही आते है. यहां का मनोरम दृश्य कही और देखने को नहीं मिलता है. यह शहर का हिर्दयस्थली है. यहां पर चारो ओर देखिये तो आपको कोई ना कोई प्राकृतिक संदेश दिख जाता है. एक तरफ भगवान भास्कर रथ पर सवार है, तो दूसरी तरफ मुसलमान मस्जिद में नमाज अदा करते हैं, तीसरी तरफ ईसाइयों का चर्च है. यहां पर छठ के दौरान सभी धर्मों के लोग हिंदुओ के आस्था के पर्व में योगदान भी देते है. चाहे वो साफ सफाई का हो या प्रसाद वितरण सब मे बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं.
आरा से दीनानाथ मिश्र की रिपोर्ट.