लोक आस्था का महापर्व छठ (Chhath Puja 2023) के चार दिवसीय अनुष्ठान के दूसरे दिन शनिवार को खरना संपन्न हो गया. इसके साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो गया. रविवार को व्रती रवियोग व द्विपुष्कर योग में भगवान भाष्कर को सायं कालीन अर्घ देंगे. वहीं, सोमवार को कार्तिक शुक्ल सप्तमी के दिन धनिष्ठा नक्षत्र व ध्रुव योग के शुभ संयोग में उदयकालीन सूर्य को अर्घ देंगे. इसके बाद ही व्रती प्रसाद व जल ग्रहण करेंगे. ऐसे में रविवार की शाम व सोमवार की सुबह को भगवान भाष्कर को अर्घ देने के लिए छठ घाटों, तालाबों पर आस्था का सैलाब उमड़ेगा. इसके लिए राज्य भर में नदी किनारे घाट के अलावा तालाब तैयार किये गये हैं. घाटों व तालाबों पर रंग-बिरंगे रोशनी से जगमग के साथ सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं.
रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ देने का समय शाम पांच बजे से 5.22 बजे से पहले तक है, जबकि सोमवार की सुबह में छह बजे से लेकर 6.39 बजे से पहले तक है. ज्योतिषाचार्य आचार्य राकेश झा ने बताया कि सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्यता, सौभाग्य व संतान के लिए किया जाता है. मानसिक शांति व जीवन में उन्नति होती है.
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छठ महापर्व पर संध्याकालीन व उदीयमान सूर्य को अर्घ देने के लिए घाट व तालाब पर पूरी तैयारी की गयी हे. रंग-बिरंगे रोशनी से जगमगा रहा है. व्रतियों की सुविधाओं के लिए घाट किनारे चेंजिंग रूम, शौचालय, पेयजल आदि की सुविधा की गयी है. सुरक्षा के लिए मजिस्ट्रेट व पुलिस पदाधिकारी तैनात किये गये हैं. सीसीटीवी से निगरानी हो रही है. घाटों पर वाच टावर के साथ हेल्थ कैंप लगाये गये हैं. श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए शेड बना है.घाटों पर अनाउसमेंट, के लिए माइकिंग की व्यवस्था की गयी है. गोताखोर तैनात रहेंगे. एनडीआरएफ व एसडीआरएफ के जवान नदी में पेट्रोलिंग करेंगे. व्रतियों की सुरक्षा के लिए घाट किनारे बैरिकेडिंग की गयी है.