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Chhath Puja की तैयारी शुरू, बाजार में पहुंच रहा है बांस का सूप और दउरा, पिछले वर्ष से इतना कम है दाम

Chhath Puja: लोक आस्था का महापर्व छठ का रंग चढ़ने लगा है. प्रकाश पर्व दीवाली की तैयारी के साथ छठ का ओरियान भी श्रद्धालुओं ने आरंभ कर दी है. वातावरण में छठ मैया के गीत भक्ति की मिठास घोलने लगे हैं. बाजार भी तैयार है. पर्व की सामग्रियों की दुकानें सज गयी हैं. लोगों ने खरीदारी भी प्रारंभ कर दी है.

Chhath Puja: लोक आस्था का महापर्व छठ का रंग चढ़ने लगा है. प्रकाश पर्व दीवाली की तैयारी के साथ छठ का ओरियान भी श्रद्धालुओं ने आरंभ कर दी है. वातावरण में छठ मैया के गीत भक्ति की मिठास घोलने लगे हैं. बाजार भी तैयार है. पर्व की सामग्रियों की दुकानें सज गयी हैं. लोगों ने खरीदारी भी प्रारंभ कर दी है. अंतिम समय में कीमत अधिक चढ़ जाने के कारण खासकर बांस के बरतन की खरीदारी श्रद्धालु कर रहे हैं. हालांकि मंहगाई के बीच पिछले वर्ष की तुलना में बांस के बरतनों का दर गिर गया है. कीमत आधी हो गयी है.

शहर से लेकर गांव तक सजा बाजार

छठ पर्व के लिये अन्य जिलों के साथ स्थानीय बांस से बने दउरा, सूप और कोनिया से बाजार सज गये हैं. छठ में बांस से निर्मित बरतनों के अलावा मिट्टी का ढकना, कोसिया, कलश, हाथी आदि का विशेष महत्व होता है. कीमत में कमी की सबसे बड़ी वजह पर्याप्त मात्रा में बांस के बरतनों की त्योहार से काफी पहले आपूर्त्ति बतायी जा रही है. उल्लेखनीय है कि सामान्य रूप से बांस के बरतन दरभंगा टावर के गुदरी बाजार सहित अन्य चुनिंदा स्थलों पर ही मिला करते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है. शहर से लेकर ग्रामीण बाजार तक में सैकड़ों दुकानें सजी हुई हैं. कीमत में कमी का कारण इसे भी माना जा रहा है.

पिछले वर्ष से दो सौ रुपये सस्ता है दउरा

बाजार में दउरा 250-300 रुपये, डगरा का दर 100-130 रुपये के बीच बिक्री हो रही है. कोनिया की कीमत 50-70 रुपये के बीच बिक रहा है. ग्राहक के मुताबिक इस दर के बीच इन सामानों को बिक्री हो रही है. बता दें कि बीते वर्ष दउरा 500-600, सूप 300-400 एवं कोनिया 200-300 रुपये के बीच बिका था. छठ पर्व के लिये दउरा, कोनिया, सूप विभिन्न जिलों के अलावा स्थानीय स्तर पर आवक होता है. इसमें अर्घ्य रखने के लिये दउरा पुपरी से, डगरा विराटनगर व खुटौना से तथा कोनिया स्थानीय स्तर पर निर्मित होता है.

केरल से मंगाया जा रहा नारियल

छठ पर्व पर नारियल की प्राधनता है. व्रती सूर्योपासना के दौरान हाथ में जहां नारियल लेकर पानी में ठाढ़ी देते हैं, वहीं अर्घ पर भी नारियल अर्पण करने की परंपरा है, लिहाजा इस अवसर पर नारियल की जोरदार बिक्री होती है. इसे देखते हुए इस साल भी अधिकांश कारोबारियों ने स्टॉक मंगा लिया है. कुछ का माल पहुंचने वाला है. कारोबारी सरोज कुमार ने बताया कि केरल से नारियल मंगाया जा रहा है.

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