पटना. लोक आस्था के महापर्व छठ का आज तीसरा दिन है. आज दुनिया भर के करोड़ों लोगों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया. छठ का पहला अर्घ्य षष्ठी तिथि को दिया जाता है. यह अर्घ्य अस्ताचलगामी यानी डूबते हुए सूर्य को दिया जाता है. इस समय जल में दूध डालकर सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ्य दिया जाता है. पंडितों के अनुसार, रविवार शाम 05:22 बजे तक भगवान भास्कर को अर्घ्य देना उचित रहेगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने निवास एक अण्णे मार्ग में भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया. कभी छठ के मौके पर सबसे चर्चित रहनेवाला राबड़ी आवास इस साल भी सुनसान है. वहां छठ नहीं हो रहा है.
पटना के घाटों पर उमड़ी भीड़
पटना के घाट पर लोक आस्था के महापर्व के तीसरे दिन अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए घाटों पर जन सैलाब उमड़ा हुआ है. बच्चे, महिलाएं, वृद्ध से लेकर सभी आयु वर्ग के लोग घाटों पर जमे हैं. उत्सवी माहौल में छठ पूजा हो रही है. पटना में छठ के लिए 100 से अधिक घाट तैयार किए गए हैं. इनमें कलेक्ट्रेट घाट, महेंद्रु घाट, दीघा घाट, गाय घाट पर काफी भीड़ देखी गयी है. पटना एसएसपी राजीव मिश्रा ने कहा कि पटना में छठ घाट पर सुरक्षा की सारी तैयारी पूरी है. सभी जगह पर्याप्त संख्या में पुलिस बल की तैनाती कर ली गई है. कंट्रोल रूम भी बनाए गए हैं. सभी घाटों पर वॉच टावर भी लगाए गए हैं. सीसीटीवी से भी निगरानी रखी जा रही है. लोगों से अपील है कि किसी तरह की अफवाह पर ध्यान न दें. किसी भी समस्या के लिए पुलिस से संपर्क करें.
शाम पांच बजे सर्वाधिक लोगों ने दिया अर्घ्य
कई व्रती दंड प्रणाम करते घाट पहुंच रहे हैं. करीब पांच बजे अर्घ्य अर्पित करनेवालों की संख्या सबसे अधिक रही. इसके लिए गंगा घाटों को भव्य तरीके से सजाया गया है. कहीं झिलमिल लाइट्स लगाए गए हैं तो कहीं घी के दीए घाट की रौनकता में चार चांद लगा रहे हैं. पटना शहर में नदी व पोखर घाट के साथ ही घर और छतों पर बने घाट पर व्रतियों ने सूर्य को अर्घ्य दिया. व्रतियों ने गया के सूर्य कुंड में अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य दिया. इस दौरान घाट पर खासी संख्या में भीड़ रही. वहीं, भीड़ को नियंत्रित करने के लिए डीएम व सिटी एसपी भी वहां मौजूद रहे.
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जानिए, भगवान भास्कर को अर्घ्य देने का फल
सूर्य की पूजा मुख्य रूप से तीन समय विशेष लाभकारी होती है – प्रातः , मध्यान्ह और सायंकाल। प्रातःकाल सूर्य की आराधना स्वास्थ्य को बेहतर करती है. मध्यान्ह की आराधना नाम-यश देती है. सायंकाल की आराधना सम्पन्नता प्रदान करती है. अस्ताचलगामी सूर्य अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं, जिनको अर्घ्य देना तुरंत प्रभावशाली होता है, जो लोग अस्ताचलगामी सूर्य की उपासना करते हैं, उन्हें प्रातःकाल की उपासना भी जरूर करनी चाहिए.