पटना. लोक आस्था के महापर्व छठ में अब दस दिन से भी कम का समय बचा है, लेकिन गंगा के दोनों किनारों पर घाट निर्माण को लेकर काम शुरू नहीं हो पाया है. इसका मुख्य कारण इस बार गंगा के जलस्तर में आयी बढोतरी को बताया जा रहा है. एक ओर जहां वैशाली जिले में गंगा और गंडक संगम स्थल पर स्थित कोनहारा घाट पर इस वर्ष दलदली के कारण छठ करना मुश्किल दिख रहा है, वहीं दूसरी ओर पटना के तीन प्रमुख घाटों को भी असुरक्षित घोषित कर दिया गया है.
गंडक और गंगा के संगम पर स्थित हाजीपुर के कोनहारा घाट का छठ आयोजन काफी प्रसिद्ध रहा है. यहां बड़ी संख्या में लोग छठ पर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं. लेकिन इस वर्ष कोनहारा घाट से लेकर सीढ़ी घाट तक स्थित 18 प्रमुख छठ घाटों की स्थिति छठ करने लायक नहीं है. यहां गंडक बराज से छोड़े गये पानी का कम होना शुरू हो गया है, लेकिन सभी घाटों पर खतरनाक दलदल बन चुका है. यहां किसी प्रकार का आयोजन इस बार छठव्रतियों के लिए खतरनाक हो सकता है. लोंगों का कहना है कि विगत एक सप्ताह में पानी तो घटा है, लेकिन घाट पर भारी दलदल, जिसपर खड़ा होना भी मुश्किल है.
वैसे कार्यपालक पदाधिकारी पंकज कुमार का कहना है कि पानी घट रहा है. घाटों की स्थिति थोड़ा फ्लैक्सिबल है. जैसे ही स्थिर होता है, वैसे ही काम में हाथ लग जाएगा. हर तरह की तैयारी हम लोग कर रहे हैं. छठ की तैयारी को लेकर जिला अधिकारी ने जो निर्देश दिया है उसके तहत सभी सुरक्षित घाटों पर साफ सफाई का काम शुरू कर दिया गया है. इसके बाद बैरिकेडिंग और सीसीटीवी कैमरा का काम किया जायेगा. इस बार हम लोग ड्रोन से निगरानी करेंगे.
इधर, पटना के डीएम डॉ चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि अब तक के निरीक्षण से यह स्पष्ट हो रहा है कि बड़े घाटों में बांस घाट, कलेक्ट्रेट घाट और महेंद्रूघाट असुरक्षित हैं. यहां छठ पूजा नहीं की जा सकती है. डीएम ने सभी अधिकारियों को विशेष अभियान चलाकर दो दिनों के अंदर छठ घाटों पर सारी व्यवस्था दुरुस्त करने का निर्देश दिया है. डीएम ने कहा कि गंगा नदी में पानी तेजी से घट रहा है. पिछले छह दिनों में पटना में गंगा नदी के जल स्तर में लगभग 1.20 मीटर की कमी आयी है. आने वाले दिनों में जल स्तर में एक से सवा मीटर और कमी आने की संभावना है.