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Chhath 2020: बिहार और नेपाल की सीमा पर छठ महापर्व का अद्भुत नजारा, मेंची नदी किनारे संस्कृति का मिलन

Chhath 2020: आस्था के महापर्व छठ के अलौकिक वातावरण के बीच गीत गूंज रहे हैं. बिहार (‍Bihar) के हिसाब से बात करें तो यह पर्व संस्कृति के मिलन (One Culture) का जरिया है. हर साल छठ के मौके पर बिहार के किशनगंज जिले के ठाकुरगंज में ऐसा नजारा दिखता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 18, 2020 4:52 PM

Chhath 2020: आस्था के महापर्व छठ के अलौकिक वातावरण में गीत गूंज रहे हैं. हर तरफ छठ पर उत्साह का माहौल है. कोरोना संकट के बीच गाइडलाइंस को देखते हुए पर्व मनाया जा रहा है. खास बात यह है कि छठ महापर्व आज सरहदों को लांघ कर विदेशों में पहुंच चुका है. अगर बिहार के हिसाब से बात करें तो यह पर्व संस्कृति के मिलन का जरिया है. हर साल छठ के मौके पर बिहार के किशनगंज जिले के ठाकुरगंज में ऐसा नजारा दिखता है. बिहार-नेपाल के लोग छठ महापर्व इकट्ठे मनाते हैं.

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भारत-नेपाल के लोग मनाते हैं छठ

दरअसल, भारत-नेपाल के छठव्रती एक ही नदी के घाट पर महापर्व मनाते हैं. ठाकुरगंज की सीमा पर बिहार, पश्चिम बंगाल और नेपाल के झापा जिले के व्रती सीमा पर बहने वाली मेंची नदी के किनारे छठ महापर्व मनाने जुटते हैं. हर साल छठ पूजा के मौके पर यहां संस्कृति की अद्भुत एकजुटता देखने को मिलती है. सालों से दोनों देशों के लोग नदी किनारे डूबते और उगते सूर्य देव को अर्घ देने के लिए जमा होते हैं.

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बिहार-नेपाल में बेहद खास रिश्ता

भारत-नेपाल सीमा पर बहने वाली मे‍ंची नदी के तट पर नेपाल के बड़ी संख्या में लोग छठ मनाने आते हैं. नेपाल में बड़ी संख्या में उत्तरप्रदेश, बिहार के लोग हैं. बिहार-नेपाल का रोटी और बेटी का रिश्ता भी है. छठ पर्व पर भद्रपुर, चंद्रगुडी, विरतामोर, धुलाबाड़ी, लघोडामारा, कांकड़ भिट्टा समेत दूसरे शहरों के लोग मेंची नदी किनारे आते हैं. छठ की अलौकिकता से हर साल नेपाल में पर्व मनाने वालों की संख्या बढ़ रही है.

Posted : Abhishek.

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