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मुस्लिम मुहल्ले में भी गूंजने लगे छठ का गीत, व्रत कर रही अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाएं

Chhath: आस्था के महापर्व के रूप में प्रसिद्ध छठपूजा केवल आस्था ही नहीं, बल्कि समाजिक एकता का भी प्रतिक है.

आस्था के महापर्व के रूप में प्रसिद्ध छठपूजा केवल आस्था ही नहीं, बल्कि समाजिक एकता का भी प्रतिक है. सनातनियों के अलावे मुस्लिम महिलाएं भी पूरी आस्था और भक्ति के साथ छठ व्रत कर रही हैं. पूजा में पूरी पाकिजगी भी बरत रही हैं. इन महिलाओं ने किसी के बताने पर छठ पूजा शुरू की और उनकी मन्नत पूरी हुई, तो वे हर वर्ष शिद्दत के साथ छठ पूजा का इंतजार करती हैं. छठ पूजा के करीब आते ही प्रखंड के फतेहपुर गांव की मुस्लिम बस्ती में छठ पूजा के गीत सुनाई देने लगे हैं. यहां गेहूं सूखाती, डाला तथा दउरी बीनती महिलाएं छठ गीत गा रही हैं. फतेहपुर गांव के कुर्बान अली के घर कई दिन से छठ पूजा के गीत गूंज रहे हैं और छठ व्रत से संबंधित कार्य निपटाये जा रहे हैं.

छठी माई की कृपा से भरा गोद

कुर्बान अली की बहू सबेया खातून पिछले तीन वर्षों से पूरी आस्था के साथ छठ व्रत करती हैं और आगे भी करेंगी. इसके अलावा उनकी चचेरी सास मोदिना खातून भी छठ व्रत करती है. ये महिलाएं बताती हैं कि मोदिना खातून को बच्चा नहीं हो रहा था, तो उन्होंने छठ व्रत किया. उसके बाद उनको संतान हुई. कुछ ऐसी ही स्थिति सबेया खातून की भी थी, उसके कोई बेटा नहीं था. मोदिना के कहने पर उसने छठी मइया से मन्नत मांगी. जब उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, तब से वह लगातार छठ व्रत कर रही हैं. व्रत करने में उनकी सास सकीना खातून, मजैदा खातून आदि भी सहयोग करती हैं. सबेया बताती हैं कि छठी मइया में बड़ी शक्ति है. उसकी मन्नत पूरी हुई, तो लगा जैसे उसे सारा संसार मिल गया हो.

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