मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना: बेटियों को नहीं मिला पैसा, 25 हजार छात्रों की पढ़ाई रुकी, जानें पूरा मामला
मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना का पैसे बिहार की बेटियों तक नहीं पहुंच रहा है. बेटियां इस इंतजार में बैठी है कि उन्हें सरकार से पैसा मिलेगा तो वो आगे की पढ़ाई करेंगी. बताया जा रहा है कि बीआरबीएयू की 25 हजार छात्राएं इंतजार में बैठी हैं.
मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना का पैसे बिहार की बेटियों तक नहीं पहुंच रहा है. बेटियां इस इंतजार में बैठी है कि उन्हें सरकार से पैसा मिलेगा तो वो आगे की पढ़ाई करेंगी. दिव्या ने तीन साल पहले स्नातक उत्तीर्ण किया, तो काफी खुश थी कि मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के लाभ से वह परिवार पर बगैर बोझ डाले उच्च शिक्षा ग्रहण कर सकेगी. समय से आवेदन की प्रक्रिया पूरी कर दी. लेकिन पैसा नहीं आया. बिहार सरकार अप्रैल 2018 के बाद स्नातक उत्तीर्ण करने वाली छात्राओं को कन्या उत्थान योजना के तहत 25 हजार रुपये दे रही है. वहीं, अप्रैल 2022 के बाद स्नातक उत्तीर्ण करने वाली छात्राओं को 50 हजार रुपये मिलेंगे. बीआरए बिहार विश्वविद्यालय से तीन सत्र में स्नातक उत्तीर्ण करने वाली 54 हजार छात्राओं ने आवेदन किया है, जिसमें अब तक 25 हजार से अधिक छात्राओं को योजना का लाभ नहीं मिला है. इसको लेकर जनवरी में उच्च शिक्षा विभाग में बैठक भी हुई थी, जिसमें डीएसडब्ल्यू और परीक्षा नियंत्रक को बुलाया गया था.
विवि स्तर पर आवेदन पेंडिंग होने के कारण नहीं मिला योजना का लाभ
कन्या उत्थान योजना के पुराने पोर्टल पर 25 हजार से अधिक आवेदन विश्वविद्यालय के स्तर पर पेंडिंग है. इन छात्राओं के आधार, आवास व बैंक एकाउंट का वेरिफिकेशन हो चुका है. अब स्नातक के अंक पत्र का सत्यापन हो रहा है. डीएसडब्ल्यू कार्यालय से जिलेवार रोस्टर बनाकर सत्यापन किया जा रहा है. पिछले साल करीब दो महीने तक कंप्यूटर खराब होने के कारण सत्यापन का कार्य प्रभावित हुआ, तो करीब महीनेभर तक सर्वर खराब रहा.
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संबद्ध कॉलेजों के 27 हजार छात्राओं का भी जुड़ा नाम
पिछले साल अक्टूबर में सरकार की ओर से स्थायी संबद्धता वाले कॉलेजों से उत्तीर्ण छात्राओं को भी कन्या उत्थान योजना का लाभ देने का आदेश मिला, तो बिहार विश्वविद्यालय के 18 कॉलेजों की करीब 27 हजार छात्राओं का नाम जुड़ गया. इनमें करीब सात हजार छात्राओं के सर्टिफिकेट का सत्यापन विश्वविद्यालय के स्तर से हो चुका है, जबकि 20 हजार का पेंडिंग है. अभी वोकेशनल व सेल्फ फाइनेंस के तहत संचालित कोर्स की छात्राओं का नाम नये या पुराने पोर्टल पर नहीं जोड़ा गया है.
महीनों तक विश्वविद्यालय का चक्कर लगा थक चुकी हैं कई छात्राएं
बेतिया की रहने वाली अनिशा ने तीन साल पहले आवेदन किया है. पांच-सात बार वह विश्वविद्यालय का चक्कर लगा चुकी है. इस दौरान बिचौलियों ने उसे झांसे में लेने की कोशिश की, लेकिन वह बच गयी. करीब सालभर बाद पिछले हफ्ते विश्वविद्यालय आयी, तो छात्रों के आंदोलन के कारण सभी कार्यालय बंद थे. स्नातक सत्र 2017-20 में उत्तीर्ण वैशाली की रागिनी भी अब थक कर घर बैठ गयी है.