मुजफ्फरपुर में एइएस का पहला केस मिलने की सूचना पर स्वास्थ्य विभाग के पटना मुख्यालय तक शनिवार को हड़कंप मच गया. केजरीवाल अस्पताल में भर्ती पूसा के एक बच्चे में हाइफीवर हाेने से एइएस की आशंका हुई. इसके बाद जिला से लेकर पटना तक के वरीय अधिकारियों की फोन की घंटी बजने लगी. वरीय अधिकारी से लेकर स्वास्थ्य विभाग के सीएस तक आनन-फानन में केजरीवाल अस्पताल पहुंच गये. मुख्यालय के निर्देश पर सिविल सर्जन डाॅ यूसी शर्मा भी केजरीवाल अस्पताल पहुंचकर बच्चे की पूरी जानकारी ली. वहां बच्चे की सीएस ने डायग्नाेसिस की और तुरंत एसकेएमसीएच के पीकू अस्पताल में रेफर करवाया.
बच्चे की स्थिति ठीक: सीएस
डाॅ बीएन तिवारी की देखरेख में बच्चे का इलाज चल रहा था. सीएस ने कहा कि उनके डायग्नाेसिस में उस बच्चे में हाइफीवर मेंजाइटिस के कारण हुआ है. उसे एंबुलेंस से तुरंत रेफर करा दिया गया. पीकू अस्पताल में इलाज के बाद बच्चे की स्थिति ठीक है. बताया कि शुक्रवार रात अचानक पूसा के रहने वाले इस बच्चे काे हाइ फीवर हुआ. इसके बाद उसके परिजन तुरंत लेकर केजरीवाल अस्पताल पहुंचे, जहां उसका प्राथमिक इलाज किया गया था. स्थिति ठीक नहीं हाेने के बाद मुख्यालय तक हड़कंप मचा रहा.
एइएस पीड़ित चार प्रखंडों में तैनात रहेगी डॉक्टरों की टीम
जिले में एइएस से निबटने की कितनी तैयारी है, स्वास्थ्य विभाग की जिला स्तरीय टीम इसका निरीक्षण करेगी. केयर इंडिया की टीम भी इसका निरीक्षण करेगी. जिला स्तरीय टीम नये बहाल हुए चिकित्सक व नर्स को ट्रेनिंग देगी. वहीं केयर इंडिया की टीम जिले के सरकारी अस्पतालों में कहां एसओपी के अनुसार दवा उपलब्ध है, कहां कितने बेड हैं, कहां गैप है, इसकी रिपोर्ट सीएस को देगी. रिपोर्ट में मिलने के बाद जहां-जहां गैप है, सीएस उसे पूरा करायेंगे.
एसओपी के अनुसार रहेगी दवा उपलब्ध
पीएचसी में एइएस पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए जो वार्ड बनाये गये हैं, उसमें एसओपी के अनुसार दवा उपलब्ध रहेगी. सीएस ने सदर अस्पताल के प्रबंधक व पीएचसी प्रभारियों को निर्देश दिया कि सेंट्रल स्टोर में एइएस की दवा उपलब्ध है, तो वार्ड में दवा एसओपी के अनुसार दवा उपलब्ध कराएं. उन्होंने जिले के सरकारी अस्पतालों में एइएस की दवा उपलब्ध है या नहीं, इसकी सूची मांगी है. अगर अस्पतालों में दवा नहीं है, तो सेंट्रल स्टोर से दवा लेने को कहा गया है. अगर सेंट्रल स्टोर में दवा उपलब्ध नहीं है, तो स्थानीय स्तर पर दवा खरीदने का निर्देश दिया है.
नहीं मरेगा एक भी बच्चा: डॉ उमेश चंद्र
सिविल सर्जन डॉ उमेश चंद्र शर्मा ने कहा कि जिले में इस साल एइएस से एक भी बच्चा मरे नहीं, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग अभी से ही तैयारी में जुट गया है. एइएस को लेकर जिले के 16 पीएचसी और 385 एपीएचसी में 33 प्रकार की दवाएं उपलब्ध कराने की कवायद शुरू हो गयी है. सीएस ने जिले के पीएचसी व एपीएचसी में वर्ष 2022 में कितने पीड़ित बच्चे आये थे. इसके साथ ही चार प्रखंड मीनापुर, कांटी, मुशहरी और बोचहां जहां सबसे अधिक बच्चे एइएस से पीड़ित होते हैं, उन पीएचसी में दवाओं की उपलब्धता और कितनी जरूरत है कि डिटेल देने को कहा है.