गोपालगंज में निमोनिया से बच्चे की मौत, सात बीमार, एंबुलेंस नहीं मिला तो कंधे पर बेटे का शव ले गया पिता

Bihar News इमरजेंसी वार्ड में ड्यूटी में तैनात डॉक्टर के गायब रहने पर निजी क्लिनिक में इलाज कराने के लिए परिजन चले गये. बच्चों के परिजनों ने अस्पताल की व्यवस्था को कोसते हुए सिविल सर्जन से इसकी शिकायत भी की है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 13, 2021 2:12 PM

Bihar News: गोपालगंज में निमोनिया ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है. अस्पतालों में बीमार बच्चों की संख्या बढ़ने लगी है. रविवार को निमोनिया से ढाई साल के बच्चे की मौत हो गयी, जबकि सात बच्चों को भर्ती कराया गया है, जिस बच्चे की मौत हुई, वह तीन दिनों से सांस की बीमारी से ग्रसित था. जांच में निमोनिया पाया गया. इसे सदर अस्पताल के सामने एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां मौत होने के बाद सदर अस्पताल रेफर किया गया. मृतक बच्चा हजियापुर वार्ड आठ के निवासी मनोज पासवान का पुत्र रितेश कुमार था.

वहीं मांझा के छवहीं के अब्दुल्लाह मियां के पुत्र असलम, थावे के गवंदरी के राकेश प्रसाद का पुत्र सोनू कुमार, बसडीला खास के अजीज अहमद की पुत्री सहाना खातून समेत सात बीमार बच्चों के परिजन सदर अस्पताल में पहुंचे, जहां रविवार होने की वजह से ओपीडी बंद होने और इमरजेंसी वार्ड में ड्यूटी में तैनात डॉक्टर के गायब रहने पर निजी क्लिनिक में इलाज कराने के लिए परिजन चले गये. बच्चों के परिजनों ने अस्पताल की व्यवस्था को कोसते हुए सिविल सर्जन से इसकी शिकायत भी की है.

कंधे पर बेटे का शव ले गया पिता

सदर अस्पताल में बच्चे की मौत की पुष्टि होने पर एंबुलेंस नहीं मिला. लिहाजा पीड़ित पिता बेटे का शव कंधे पर लेकर घर निकल पड़ा. मनोज पासवान ने बताया कि इमरजेंसी वार्ड में जिस डॉक्टर की ड्यूटी थी, वह नहीं थे. उनके बदले ब्लड बैंक के प्रभारी डॉ पीसी सिन्हा थे जिन्होंने बच्चे की मौत होने की पुष्टि की. उसके बाद शव वाहन (एंबुलेंस) का इंतजार किया. शव वाहन नहीं मिलने पर पैदल ही हजियापुर के लिए निकल गया.

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सांस से जुड़ी बीमारी है निमोनिया

स्वास्थ्य विभाग के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ नौशाद आलम ने बताया कि निमोनिया सांस से जुड़ी बीमारी है. इसमें फेफड़े में संक्रमण हो जाता है. फेफड़ा में सूजन आ जाती है और कई बार पानी भी भर जाता है. यह बुखार या जुकाम होने के बाद होता है. डॉ नौशाद ने कहा कि बच्चे को बीमारियों से बचाने के लिए छह महीने तक मां का दूध पिलाएं और स्वच्छ एवं साफ-सुथरा रहना होगा.

ऐसे बरतें सावधानी

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ नौशाद ने कहा कि यह एक सांस संबंधी बीमारी है, इसलिए कुछ सावधानी बरतने के बाद काफी हद तक इसके संक्रमण से बचा जा सकता है. इसके लिए नवजात एवं छोटे बच्चों के रखरखाव, खानपान एवं कपड़े पहनाने में सावधानी बरतने की आवश्यकता है. इसके साथ ही वैसे लोगों के संपर्क से दूर रखने की आवश्यकता है, जिन्हें पहले से सांस संबंधी बीमारी हो. इसके साथ बुजुर्गों सहित अन्य लोगों को भी काफी सावधानी बरतने की जरूरत है.

निमोनिया के लक्षण

  • बच्चे को फीवर आना

  • कफ होना और हांफना

  • मां का दूध कम पीना

  • बच्चा का सुस्त होना

  • सांस लंबा-लंबा लेना

क्या कहते हैं उपाधीक्षक

इमरजेंसी वार्ड की ड्यूटी से डॉक्टर कब गायब हुए, मुझे इसकी सूचना नहीं मिली है. डॉ पीसी सिन्हा रेडक्रॉस सोसाइटी के तहत संचालित ब्लड बैंक के डॉक्टर हैं. इमरजेंसी वार्ड में डॉ पीसी सिन्हा की कोई ड्यूटी नहीं है. बच्चे की मौत निजी अस्पताल में हुई थी. मरने के बाद उसे रेफर किया गया था. शव वाहन क्यों नहीं मिला, इसकी जांच करा रहे हैं.

डॉ एसके गुप्ता, उपाधीक्षक, सदर अस्पताल, गोपालगंज

Posted by: Radheshyam Kushwaha

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