अगर आपके बच्चे को मोबाइल फोन पर ऑनलाइन गेम खेलने की लत है तो यह खबर आपको सतर्क करती है. ऑनलाइन गेम के चक्कर में इन दिनों बच्चे हिंसक होते जा रहे हैं. बिहार में कम उम्र के किशोर अपराध की दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं. लगातार मर्डर, हिंसक लड़ाई, शराब, हेरोइन जैसे नशीले पदार्थ की तस्करी सहित अन्य जघन्य अपराधों में किशोर पकड़े जा रहे हैं. बाल मन में अपराध की बीज पनपने के पीछे न केवल मौजूदा परिवेश बल्कि बेतरतीब ढंग से मोबाइल का बेजा इस्तेमाल है. बांका जिले में एक मासूम की हत्या के बाद कुछ ऐसे खुलासे हुए हैं जो दंग करने वाले हैं.
बांका जिले के रजौन के सिकानपुर में दिलखुश की हत्या के पीछे जो मामले निकल कर आये हैं वह न केवल चौंकाने वाले हैं बल्कि समाज के लिए नया सबक भी है. खासकर अभिभावकों के लिए तो नयी सीख जरुर है. दरअसल, एसडीपीओ ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जो बातें कहीं वह हर घर तक पहुंचना बेहद आवश्यक है. पुलिस के द्वारा बताया गया कि दिलखुश हत्याकांड में पकड़े गये दोनों आरोपित दिलखुश के पक्के मित्र थे और सभी फ्री फायर गेम खेला करते थे. इस ऑनलाइन गेम का लत इतना अधिक था कि सभी मित्र रात में बहियार जाकर गेम खेलते थे.
पुलिस के सामने नाबालिग आरोपितों ने यह भी कबूल किया कि यदि किसी दिन गेम नहीं खेल पाते थे तो रात में नींद नहीं आती थी. यह गेम इतना खतराक होता है कि वह मानसिक स्थिति को पूरी तरह बदल देता है. इसके लती सोचने और समझने की शक्ति खो बैठता है. साथ ही इमोशन यानी किसी प्रकार की भावना उसके अंदर नहीं पनप पाती है. नतीजतन, उसमें हिंसक प्रवृति विकसित हो जाती है और वह एक तरह से क्रेजी हो जाता है. जिसका प्रतिफल छोटी-छोटी बात में हत्या जैसी वारदात तक को अंजाम दे बैठते हैं.
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सिकानपुर गांव में नाबालिग दिलखुश कुमार (13 वर्ष) की हत्याकांड से पर्दा उठा तो इस हत्या के पीछे मुख्य वजह फ्री फायर गेम बताया गया. हत्या के आरोप में दो नाबालिग दोस्त को पुलिस अभिरक्षा में लिया गया है. दोनों नाबालिग आरोपितों ने अपने गुनाह कबूल कर लिया है. दिलखुश की हत्या बड़ी विभत्सा से की गयी थी. पहले गमछा से उसका गला दबाया और उसके बाद में कैंची से आंख में गोद दिया. एसपीडीपीओ विपिन बिहारी ने मामले का खुलासा करते हुए सोमवार को बताया कि दिलखुश व दोनों आरोपित नाबालिग आपस में दोस्त थे. सभी मोबाइल पर फ्री फायर गेम खेला करते थे.
इस क्रम में एक दोस्त ने दिलखुश से मोबाइल खरीदने के लिए 10 हजार रुपये उधार लिया था. लेकिन, उसने मोबाइल खरीदने के बजाय दूसरी चीजों में पैसा खर्च कर दिया और फिर गेम खेलने के लिए दिलखुश से मोबाइल मांगने लगा. इसपर दिलखुश ने मोबाइल देने से मना कर दिया और बकाया पैसे की भी मांग करने लगा. इससे वह दोस्त अत्यधिक आक्रोशित हो गया और उसने अन्य तीसरे दोस्त के साथ दिलखुश की निर्मम हत्या की प्लानिंग तय कर ली. दोनों दोस्तों ने एक जनवरी रात आठ बजे दिलखुश को घर से बुलाकर बहियार ले जाकर उसकी हत्या कर दी. पूछताछ में दोनों ने घटना की पूरी पटकथा पुलिस के समक्ष कबूल कर लिया. साथ ही आरोपित के निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त गमछा, कैंची व चप्पल भी बरामद किया गया. दोनों की उम्र 16 से 18 वर्ष है. बता दें कि दो जनवरी को रजौन थाना में रामदेव यादव ने अपने पुत्र दिलखुश कुमार का उनके घर से सोये अवस्था में अपहरण करने का केस दर्ज कराया गया था, जिसमें चार ग्रामीणों को नामजद किया गया था. परंतु, तीन जनवरी को नयाडीह बहियार मैदान में मौजूद पोखर से दिलखुश का शव बरामद हुआ तो मामले में नया मोड़ आया था.
फ्री फायर सहित कई प्रकार के ऑनलाइन गेम आजकल बच्चे घर-घर में खेल रहे हैं. ऑनलाइन क्लास के बहाने वह पढ़ाई की जगह गेम खेलते हैं. यह एक तरह का नशा है, जिसका लत लगने के बाद इंसान इसके आदी हो जाते हैं. यह एक तरह का हिंसक गेम होता है. इस खेम में मारधाड़, गोलीवारी, अनाप-सनाप हथियार से एक-दूसरे पर वार करना जैसे किरदार गेम में एक्टिव रहते हैं. गेम खेलने वाले खुद को उस किरदार में ढालकर दूसरे पर हमला करते हैं. वह जितनी संख्या में दूसरे को मारता है उसका अंक बढ़ता है और वह हीरो बन जाता है. परंतु, इस हीरो के पीछे असल में विलन का प्रेवश बाल मन में हो जाता है. लिहाजा, अभिभावक को ऐसे हिंसक गेम व खासकर बेजा मोबाइल इस्तेमाल से अपने बच्चों को रोकने की आवश्यकता है.
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बांका के एसडीपीओ विपिन बिहारी ने कहा कि फ्री फायर जैसी ऑनलाइन गेम बच्चों के लिए काफी खतरनाक है. आज इसकी परिणति दिलखुश जैसे मासूम की हत्या है. समाज को इस घटना से सबक लेने की आवश्यकता है. अपने बच्चे को ऐसे गेमों से दूर रखें और उसकी निगरानी भी करें.