यह मौजूदा दौर में पनप रही नयी संस्कृति का असर है, जिसकी वजह से कम उम्र के बच्चे भी स्वच्छंद रहने की चाह रखने लगे हैं. वे अपने ऊपर किसी तरह का दबाव, तनाव और सख्ती नहीं चाहते. तभी तो छाेटी-छोटी बात पर ये मासूम जान देने को तैयार हो जा रहे हैं, बिना यह सोचे कि उनके जाने के बाद उनके माता-पिता और परिजन पर क्या बीतेगी. झारखंड और पड़ोसी राज्यों से तीन ऐसी ही खबरें आयी हैं, जिसमें मासूम बच्चों ने माता-पिता की डांट-फटकार और सख्ती से नाराज हो कर मौत को गले लगा लिया
पिता ने जबरन बाल कटवा दिये, तो नाराज बिनोद नगर निवासी 13 वर्षीय किशोर ने रविवार को फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली. वह 8वीं का छात्र था. घटना के वक्त माता-पिता बाजार गये थे. पिता बिरेंद्र कुमार सिंह ने पुलिस को बताया कि वह दो दिनों से बेटे को बाल कटवाने को कह रहे थे, पर वह तैयार नहीं हो रहा था. रविवार को छुट्टी थी. इस कारण सुबह बेटे को दुकान में ले गये और उसके बाल कटवाने के बाद उसे घर भेज दिया था.
बिहार के बगहा में शनिवार देर शाम एक किशोरी ने घर में फांसी पर लटक कर जान दे दी. किशोरी की पहचान सोनी कुमारी (13 वर्ष) के रूप में की गयी है. घटना के वक्त मां और भाई गांव के ही एक किसान के खेत में गन्ना छिलाई करने गये थे. काम पर जाने से पहले मां ने बेटी को समय से भोजन पकाने को लेकर डांट-फटकार लगायी थी. काम खत्म करने के बाद जब वह घर लौटी, तो देखा कि सोनी घर में फंदा लगाकर लटकी हुई है.
कोलकाता. मोबाइल पर गेम खेलने की लत को लेकर मां से फटकार मिलने के बाद गुस्से में बेटे ने घर में फांसी लगा ली. घटना कोलकाता से सटे दक्षिण 24 परगना जिले के देबनगर पूर्वपाड़ा इलाके में शनिवार रात की है. मृत किशोर 14 वर्षीय दुरंत दास सातवीं का छात्र था. दुरंत स्कूल से घर लौटने के बाद मोबाइल पर गेम खेलने में लग जाता था. रोज की तरह शनिवार को भी मां ने उसे फटकार लगायी. गुस्से में दुरंत ने फांसी लगा कर जान दे दी.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
बच्चे का दिमाग उम्र के हिसाब ज्यादा विकसित हो जा रहा है. इससे उन पर तनाव भी बढ़ जाता है. छोटी-छोटी बातें, उनको परेशान कर देती हैं. इसके हिसाब से उनमें तनाव झेलने की क्षमता नहीं रहती है. उनको जब कोई दोस्त या परिवार का सहारा नहीं मिलता, तो वह गलत कदम उठा लेते हैं. डॉ निशांत गोयल,
प्रभारी बाल मनोचिकित्सा केंद्र, सीआइपी
परिजन को बच्चों को समझना होगा. उनको दोस्त बनाकर रखना होगा. बताना होगा कि वह उनके साथी हैं. जब भी परेशानी हो, जरूर शेयर करें. इसके लिए बच्चों के साथ समय बीतना होगा. अच्छा और गलत क्या है, बताते रहना होगा.
आप या आपका कोई अपना तनाव में हो तो तुरंत इन नंबरों पर संपर्क कर
सलाह लें- सीआइपी : 0651-2451115, 116 और रिनपास : 0651-2451911