पटना समेत पूरे राज्य में निमोनिया के पांव पसारने का खतरा पैदा हो गया है, क्योंकि इससे बचाव के लिए लगाये जाने वाला टीका न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन (पीसीवी) उपलब्ध नहीं है. इसके कारण बच्चों को कई केंद्रों पर नहीं यह टीका नहीं लग पा रहा है. पिछले 15 दिनों से पीसीवी वैक्सीन नहीं मिल रही है. खास बात तो यह है कि अस्पतालों में बने टीकाकरण केंद्रों या फिर नियमित टीकाकरण के पोर्टल पर डाटा अपलोड तक नहीं किया जा रहा है.
नियमानुसार बच्चों के जन्म के डेढ़ महीने, साढ़े तीन माह के बाद नौ महीने होने पर पीसीवी बूस्टर लगाया जाता है. मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में भी वैक्सीन नहीं है. शहर के पीएमसीएच, आइजीआइएमएस, गार्डिनर रोड अस्पताल, गर्दनीबाग, जीजीएस जिला अस्पताल समेत अनुमंडलीय व अधिकतर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर बच्चों को वैक्सीन लगायी जाती है. इनमें गार्डिनर रोड के अलावा कुछ सरकारी अस्पतालों को मॉडल टीकाकरण केंद्र के रूप में चिह्नित कर बनाया गया है. इधर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का दावा है कि अगले 10 दिनों के अंदर वैक्सीन के डोज सभी केंद्रों पर पहुंच जायेंगे.
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डॉक्टरों के अनुसार सर्दी की शुरुआत होते ही निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है. यह बीमारी बच्चों के अलावा बुजुर्गों में भी होती है. टीका नहीं लगने के कारण निमोनिया के मामले सामने आने लगते हैं. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ एनके अग्रवाल ने बताया कि निमोनिया फेफड़ों का एक सामान्य संक्रमण है, जो बैक्टीरिया या वायरस के कारण खांसने, छींकने, छूने और सांस के जरिये फैलता है. यह फेफड़े से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है. कई बार निमोनिया के लक्षण स्पष्ट नहीं दिखते हैं. उन्होंने कहा कि जन्म के बाद नौ माह तक सभी माताएं अपने बच्चों को पीसीवी का टीका समय से लगाएं.
सिविल सर्जन डॉ केके राय ने बताया कि टीकाकरण को लेकर विशेष अभियान चलाकर परिजनों को जागरूक किया जाता है, ताकि बच्चों को सभी तरह की टीका लग जाये. वहीं जिन सेंटरों में पीसीवी का वैक्सीन नहीं लग पा रही है, वहां जल्द ही यह वैक्सीन पहुंच जायेगी.