पटना. कोविड-19 काल के साये में पेश होने वाला इस बार सूबे का बजट कई मायने में अलग होगा. टैक्स संग्रह की मशक्कत के बीच इसमें कई नयी बातों को समाहित करने की कवायद तेजी से चल रही है.
इसी क्रम में इस बार बिहार में पेश होने वाले बाल बजट में 16 विभागों की हिस्सेदारी होगी. इससे पहले तक इसमें मुख्य रूप से समाज कल्याण विभाग व शिक्षा, स्वास्थ्य समेत सात विभागों की ही भागीदारी रहती थी.
इस बार इनकी संख्या बढ़ाते हुए 16 विभागों में चलने वाली तमाम सभी योजनाओं में बच्चों से जुड़ी जो भी योजना या किसी योजना में किसी रूप से बच्चों को फायदा पहुंचेगा, उसे बाल बजट में शामिल किया जायेगा.
इस तरह से इस बार का बाल बजट पिछले वर्षों से व्यापक होगा. हालांकि, बजट आकार चालू वित्तीय वर्ष के आसपास ही रहने की संभावना है. सभी विभागों से बच्चों की योजनाओं से संबंधित प्रारूप प्राप्त होने के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा कि इस बार बाल बजट का आकार क्या होगा. वित्त विभाग और यूनिसेफ ने मिलकर सभी विभागों को बाल बजट तैयार करने के लिए समुचित ट्रेनिंग वर्कशॉप के माध्यम से दी है.
सभी विभागों से कहा गया है कि उनके यहां जितनी भी योजनाएं चलती हैं, उनमें बच्चों से जुड़ी योजनाओं पर कितनी राशि खर्च होती है, चाहे वह किसी रूप में होती हो. इसकी विस्तृत जानकारी मुहैया कराये. इसमें योजना और गैरयोजना दोनों तरह से खर्च होने वाली राशि शामिल है. इस तरह से बाल बजट को रियलिस्टिक बनाने पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है.
राज्य में शून्य से 18 वर्ष के बच्चों की जनसंख्या 48 प्रतिशत है. इस वजह से इस अनुपात में कोई विभाग बच्चों से जुड़ी किसी योजना पर राशि खर्च कर सकता है. इस बार के बाल बजट में स्थापना एवं प्रतिबद्ध व्यय के अलावा योजना मद की राशि को भी शामिल किया जायेगा.
इस बजट में यह भी जानकारी रहेगी कि बच्चों की किन-किन योजनाओं से क्या हासिल हुआ. मसलन, मिड-डे मिल योजना से स्कूलों में उपस्थिति पर क्या प्रभाव पड़ा या कितनी प्रतिशत उपस्थित बढ़ी. पहले से मौजूद विभागों के अलावा जिन विभागों को जोड़ा गया है, उनमें पंचायती राज, श्रम, पीएचइडी, वन एवं पर्यावरण, गृह, ग्रामीण विकास विभाग, योजना एवं विकास विभाग समेत अन्य विभाग शामिल हैं.
Posted by Ashish Jha