Children Day 2023: पंडित जवाहरलाल नेहरू 1912 में आए थे बिहार, पटना में पहली बार जानिए किस सभा में लिया था भाग
Children Day 2023: देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का आज जन्मदिन है. वह 1912 में पहली बार बिहार आए थे. इसी दौरान उन्हें पहली बार खुला मंच मिला था. इसके बाद ही वह प्रधानमंत्री बने थे.
Children Day 2023: देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का आज जन्मदिन है. इस दिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसका कारण है कि इन्हें बच्चों से काफी प्यार था और बच्चे इन्हें चाचा कहकर भी बुलाते थे. देश के पहले प्रधानमंत्री का जन्म आज ही के दिन उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुआ था. कहते है कि नेहरू ने देश की राजनीति को नई दिशा दी थी. उनके राजनीतिक जीवन को बिहार में एक नई दिशा मिली थी. बिहार के पटना के बांकीपुर में उन्होंने पहली बार कांग्रेस की सभा में उन्होंने भाग लिया था. इस दौरान कांग्रेस खुले मंच की राजनीति की ओर ध्यान दे रही थी. इस कारण वह कांग्रेस का हिस्सा बने थे. साल 1912 में पटना के बांकीपुर में वह बतौर प्रतिनिधि शामिल हुए थे. यहां से उन्होंने राजनीति में आगे का सफर तय किया था. इसके बाद वह देश के प्रधानमंत्री बने थे.
आजादी की लड़ाई के दौरान गए थे जेल
पंडित जवाहरलाल नेहरू पहले कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे. इसके बाद वह देश के पहले प्रधानमंत्री बनें. देश की आजादी के बाद लगातार चार बार पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री बने थे. नेहरू ने चार बार लगातार 1947, 1951, 1957 और 1962 तक देश के प्रधानमंत्री का पद संभाला था. अपने जीवनकाल में आजादी की लड़ाई के दौरान वह जेल भी गए थे. मालूम हो कि जजवाहर लाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बने थे. चुनाव के समय में कई पार्टियों की टक्कर हुई थी. इसमें कांग्रेस, हिन्दू महासभा और सिक्ख व अकाली प्रमुख पार्टियां थी. चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी.
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साल 1955 में भारत रत्न का मिला था सम्मान
पंडिल जवाहरलाल नेहरू को साल 1955 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. इन पर कई बार जानलेवा हमले भी हुए थे. यह पूर्ण बहुमत सरकार में गणतांत्रिक और लोकतांत्रिक देश के पहले प्रधानमंत्री थे. यह हमेशा स्वतंत्रता के पक्षधर थे. इन्होंने प्रेस की स्वतंत्रता की भी बात कही थी. इन्होंने कहा था कि प्रेस की स्वतंत्रता बरकरार रहनी चाहिए. पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लॉ की पढ़ाई की थी. 15 वर्ष की छोटी-सी उम्र में यह इंग्लैंड पढ़ने के लिए गए थे. महज 20 साल की उम्र में इन्होंने बैरिस्टर की उपाधि ली थी और भापत वापस लौटे थे.