अभ्यास के अभाव में गणित में पिछड़ रहे बिहार के बच्चे, 2017 की तुलना में 2021 की रिपोर्ट ठीक नहीं
आर्यभट्ट और दूसरे प्रतिष्ठित गणितज्ञों की भूमि बिहार में गणित की पढ़ाई पिछड़ती जा रही है. बिहार के सभी विश्वविद्यालय में गणित से स्नातक में नामांकन करने वाले विद्यार्थियों की संख्या 14 हजार के आस-पास है.
राजदेव पांडेय
पटना. हर साल 22 दिसंबर को नेशनल मैथमेटिक्स डे (राष्ट्रीय गणित दिवस) के रूप में मनाया जाता है. 2012 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने महान गणितज्ञ रामानुजन के सम्मान में उनके जन्मदिन (22 दिसंबर) को नेशनल मैथमेटिक्स डे के रूप में मनाये जाने की घोषणा की थी. बिहार व भारत में ऐसे कई लोग हुए जिन्हें गणित ने कभी परेशान नहीं किया, बल्कि वे गणित की संख्याओं से दिल खोलकर खेले और बड़ी-बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं. ऐसे में वर्तमान में बिहार के विद्यार्थियों की मैथमेटिक्स की स्थिति पर आइए डालते हैं एक नजर.
आर्यभट्ट और दूसरे प्रतिष्ठित गणितज्ञों की भूमि बिहार में गणित की पढ़ाई पिछड़ती जा रही है. बिहार के सभी विश्वविद्यालय में गणित से स्नातक में नामांकन करने वाले विद्यार्थियों की संख्या 14 हजार के आस-पास है. स्नातकोत्तर में यह संख्या घट कर महज 600 से 700 के बीच सिमट जाती है. पीएचडी के लिए नामांकित होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या बड़ी मुश्किल से दहाई में पहुंच पाती है. जहां तक स्कूली शिक्षा का सवाल है, हमारे राज्य के बच्चों की संख्या की अधिकतम की संख्या औसत ही है.
राष्ट्रीय परफार्मेंस में 12 प्रतिशत बच्चे ही मैथ में अच्छे
नेशनल अचीवमेंट सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि कक्षा तीन,पांच,आठ, 10 और 12 वीं में विशेष रूप से गणित में हमारे बच्चे औसत ही हैं. सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक क्लास तीन में बिहार के बच्चों का प्रदर्शन राष्ट्रीय परफॉर्मेंस 57 से कम 56 फीसदी है. इसमें औसत से कम प्रदर्शन करने वाले बच्चों की संख्या 25 फीसदी, औसत रहने वाले बच्चों का प्रतिशत 31 प्रतिशत है. इस तरह आधे से अधिक 56 फीसदी बच्चे औसत हैं या औसत से नीचे गणितीय योग्यता रखते हैं. जबकि गणित में अच्छेया दक्ष बच्चों का प्रतिशत 31 और बहुत अच्छेविद्यार्थियों का प्रतिशत 12 ही है.
2017 की तुलना में 2021 की रिपोर्ट ठीक नहीं
वहीं 24 फीसदी बच्चे ही बेहतर या उससे भी अधिक दक्ष रहे. इसी तरह कक्षा आठ में औसत और औसत से भी कम बच्चों की संख्या 65 फीसदी रही. वहीं कक्षा दस में गणित में औसत या इससे कम क्षमतावाले विद्यार्थियों की संख्या 71 फीसदी रही. अगर हम पिछले नेशनल अचीवमेंट सर्वे 2017 की तुलना में 2021 की रिपोर्ट पर नजर डालें तो साफ है कि गणित के सर्वे के लिए चयनित विद्यार्थियों की संख्या ही कम होती जा रही है.
चिंता की बात
नेशनल अचीवमेंट सर्वे 2017 में 500 बच्चों में 318 बच्चे सलेक्ट हुए थे. वहीं 2021 के सर्वे में केवल 304 ही सलेक्ट हो सके. जहां तक कक्षा पांच का सवाल है, गणित में हमारा प्रदर्शन नेशनल औसत 44 की तुलना में कुछ कम 43 फीसदी है. इस कक्षा में बिहार के बच्चों में 36% औसत से नीचे और 38 फीसदी औसत रहे. इस तरह 76 फीसदी बच्चे हमारे औसत या औसत से अधिक रहे.
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एक्सपर्ट व्यू
निश्चित तौर पर गणित में बिहार पिछड़ रहा है. बच्चों में प्रतिभा की कमी नहीं है. बस उन्हें दिशा देने की जरूरत है. गणित अभ्यास और प्रतिभा की दम पर पढ़ा जाता है. गणित के शिक्षकों को चाहिए कि वे बच्चों की प्रतिभा को तराशें और अभ्यास की आदत विकसित करें. – डॉ एन के अग्रवाल , परामर्शदाता , शिक्षा विभाग
गणित पढ़ाते समय इस बात पर फोकस करता हूं कि टॉपिक को इंटरेस्टिंग कैसे बनाया जा सकता है. ताकि विद्यार्थियों का कॉन्सेप्ट क्लीयर रहे. अगर मैं अपने स्कूल के दिनों की बात करूं, तो मैं गणित विषय में बेहतर करता था. इसकी वजह यह थी कि मेरे पिता जी भी विज्ञान के शिक्षक थे, तो उनसे मुझे काफी कुछ सीखने को मिला. गणित ऐसा विषय है, जिसका जितना अभ्यास करेंगे कंसेप्ट उतना ही क्लीयर होता जायेगा. – डॉ शशि भूषण राय, एचओडी(गणित), बीएन कॉलेज