लोकसभा चुनाव : पांचवें चरण के चुनावी संग्राम में ताल ठोक रही हैं मंडल राजनीति के दो दिग्गजों की संतान

पांचवें चरण की चुनावी लड़ाई बेहद प्रतिष्ठित और चुनौतीपूर्ण है. सारण लालू प्रसाद से और हाजीपुर लोकसभा सीट दिवंगत राम विलास पासवान के नाम से पहचानी जाती है. वहीं विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र भी सीतामढी से मैदान में हैं.

By Anand Shekhar | May 10, 2024 5:55 AM
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राजदेव पांडेय ,पटना

बिहार में लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में पांच सीटों पर महागठबंधन और एनडीए प्रत्याशी ताल ठोक रहे हैं. इस चरण का चुनावी संग्राम बेहद प्रतिष्ठापूर्ण और चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है. यह देखते हुए कि पांच में दो संसदीय क्षेत्रों हाजीपुर और सारण मंडल राजनीति के दो बड़े धुरंधरों दिवंगत राम विलास पासवान और लालू प्रसाद की सियासत की धरती रही है. दिलचस्प बात है इस बार भी इन दोनों ही सीटों पर उनके परिजन ही चुनाव मैदान में हैं. अन्य तीनों सीटों पर एनडीए और महागठबंधन के कई कद्दावर नेता चुनाव लड़ रहे हैं.

हाजीपुर में चिराग पासवान विरासत संभालने के लिए मैदान में

हाजीपुर लोकसभा सीट मंडल राजनीति के बड़े नेता दिवंगत रामविलास पासवान के लिए पहचानी जाती है. उनकी रिकार्ड जीत यहीं से हुई थी. यहां से उनके उनके परिवार के लोग भी जीतते रहे हैं. इस बार एनडीए से दिवंगत नेता राम विलास के पुत्र चिराग पासवान यहां से चुनाव मैदान में हैं. राजद की तरफ से उनके पूर्व मंत्री शिवचंद्र राम लड़ाई में हैं.

हाजीपुर सुरक्षित सीट पर दाे दलित जातियां पासवान और रविदास आमने सामने होती आयी हैं. बाकी के मतदाता दोनों ओर वोटिंग करते हैं. इससे भी अहम बात यह है कि इस संसदीय क्षेत्र से बिहार के कई बड़े नेताओं का सीधा जुड़ाव है. इसी संसदीय क्षेत्र की राघोपुर विधानसभा सीट से राजद नेता तेजस्वी यादव चुनाव लड़ते हैं.

भाजपा के कद्दावर नेता नित्यानंद राय का घर इसी संसदीय क्षेत्र में है. वे यहीं से चुनाव भी जीत चुके हैं. हाजीपुर लोकसभा सीट से एनडीए नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा का संबंध भी है. वे यहीं की एक विधानसभा से चुनाव भी जीत चुके हैं. उनका घर भी यहीं हैं.

सारण में रोहिणी आचार्य विरासत संभालने के लिए मैदान में

उधर, सारण लोकसभा सीट पर लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्य चुनाव लड़ रही हैं. मुकाबले में भाजपा के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूड़ी ताल ठोक रहे हैं. सारण सीट खुद लालू प्रसाद की सियासत के लिए ”माइल स्टोन” रही है. 1977 में पहली बार वे यहीं से चुनाव जीते थे. वे 2009 में अंतिम बार भी यहीं से जीते. इसी संसदीय क्षेत्र से पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी भी चुनाव लड़ चुकी हैं.

सीतामाढ़ी : सबकी नजर है इस सीट पर

सीतामढ़ी लोकसभा सीट बिहार विधान परिषद के सभापति खुद देवेश चंद्र ठाकुर की वजह से प्रतिष्ठित हो गयी है. वे यहां एनडीए प्रत्याशी हैं. यहां राजद के अर्जुन यादव उन्हें चुनौती दे रहे हैं.

पाला बदल प्रत्याशियों के लिहाज से मधुबनी और मुजफ्फरपुर का मुकाबला हुआ दिलचस्प

मुजफ्फरपुर ओर मधुबनी संसदीय क्षेत्र इस बार बेहद खास हो गये हैं. इन दोनों सीटों पर कुछ एक कद्दावर प्रत्याशी दल बदल कर चुनाव मैदान में हैं. उदाहरण के लिए मधुबनी संसदीय क्षेत्र से पूर्व केंद्रीय मंत्री अली अशरफ फातमी चुनाव मैदान में हैं. उनके संदर्भ में खास बात यह है कि वह कभी राजद में थे. फिर जदयू में आये. अब वह पाला बदलकर फिर राजद से चुनाव लड़ रहे हैं.

फातमी के मुकाबले भाजपा के अशोक यादव हैं. वह पिछली बार भी लोकसभा चुनाव में चुने गये थे. इनके पिता हुकुमदेव नारायण पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे हैं. इस तरह यहां कड़ी टक्कर है. वहीं, मुजफ्फरपुर संसदीय क्षेत्र से कभी भाजपा नेता रहे अजय निषाद अब कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में एनडीए को चुनौती दे रहे हैं.

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