नयी दिल्ली. लोजपा में उठे सियासी घमासान के बीच सोमवार देर शाम लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने चिराग पासवान की जगह उनके चाचा और सांसद पशुपति पारस को पार्टी के संसदीय दल के नेता के तौर पर मान्यता दे दी.
इससे पहले पार्टी के छह में से एक चिराग पासवान को छोड़ कर शेष पांचों सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात कर उन्हें पार्टी के संसदीय बोर्ड की रविवार को हुई बैठक के फैसले की जानकारी दे दी, जिसमें चिराग पासवान को हटा कर पशुपति कुमार पारस को पार्टी का नेता और संसदीय दल का अध्यक्ष चुना गया. इस संबंध में लोकसभा अध्यक्ष को एक पत्र सौंपा था.
खगड़िया के सांसद महबूब अली कैसर को लोकसभा में पार्टी का उपनेता और नवादा के सांसद चंदन सिंह को मुख्य सचेतक नियुक्त किया गया है.
माना जा रहा है कि लोकसभा सचिवालय से मान्यता मिल जाने के बाद मंगलवार को पारस के नेतृत्व में लोजपा की एक टीम चुनाव आयोग से मुलाकात करेगी और लोजपा के अध्यक्ष के रूप में उन्हें मान्यता देने का अनुरोध करेगी.
वैशाली की सांसद वीणा देवी के घर पर पांचों लोजपा सांसदों की लंबी बैठक में आगे की रणनीति पर विचार किया गया. सूत्रों के मुताबिक पारस अपने भतीजे चिराग पासवान के साथ किसी भी समझौते के मूड में नहीं हैं. वह चिराग को हटा कर लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद भी सुशोभित करेंगे.
वर्ष 2000 में लोजपा के गठन के बाद पहली बार स्व. रामविलास पासवान के परिवार में टूट हुई है. इसमें पारस को एक अन्य भतीजे प्रिंस राज का साथ मिला है. प्रिंस वर्तमान में समस्तीपुर के सांसद हैं और सांसद रहे स्व. रामचंद्र पासवान के बेटे हैं.
चाचा पारस के कड़े तेवर से पहली बार रू-ब-रू हुए चिराग पासवान अपने आवास पर देर शाम तक बैठक करते रहे और कानूनी सलाह लेते रहे. हालांकि, इस बैठक का कोई नतीजा नहीं निकल पाया. चिराग ने मीडिया से भी कोई बात नहीं की.
Posted by Ashish Jha