पटना. मिथिला के पारंपरिक वाद्य यंत्र रशन-चौकी की आवाज के बीच जात, ढेकी, उखर जैसे पुरातन घरेलू उपकरणों से तैयार होते मसाले की महक मिथिला हाट के भंसाघर में आपको मिथिला की सूचिता, आतिथ्य और ज्ञान की गौरवमयी संस्कृति से न केवल रू-ब-रू करायेंगे, बल्कि उस माहौल में आप खुद को मिथिला में समाहित पायेंगे. जी हां, दरभंगा प्रमंडल के मधुबनी जिले में ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर एनएच-57 के किनारे अररिया संग्राम स्थित मिथिला हाट अपने भवन की अनूठी स्थापत्य शैली और सुंदर तालाब के साथ अपने लाइव किचेन भंसाघर के कारण आपको राजस्थान के चोखी ढाणी और बनारस के बाटी-चोखा की याद ताजा कर देगी. स्थानीय लोक परंपरा को प्रतिबिंबित करती हुई मिथिला पाक कला और भोजन से सुसज्जित भंसाघर में मिथिला के पारंपरिक व्यंजन का विशेष स्वाद लिया जा सकता है. बिहार आने वाले पर्यटकों और ट्रैवलर के लिए यह स्थान खास पर्यटन स्थल बनता जा रहा है.
मिथिला के व्यंजनों की विविधता को करीब से चखने का मौका
मिथिला अर्बन हाट के अंदर जाते ही उसके भंसाघर में मडु़आ, मक्का को जांता में पीस कर मिट्टी के बर्तन में महिलाओं को रोटी पकाते देख सकते हैं. वहीं उखैर समांठ से चूड़ा कूटती महिला आपको दिख जायेगी. ढेकी से धान का चावल तैयार करती महिला को भी आप यहां देख पायेंगे. स्थानीय महिलाओं द्वारा मिट्टी के तावा में मडु़आ, मकई और सतंजा की रोटी का स्वाद आप शायद ही भूल पायेंगे. चावल ऐरकंचन की सब्जी, ठरिया साग, तिलकोर का तरूआ, दूध बगिया, आलू का चोखा, बैगन का चोखा, टमाटर का चोखा, सेकुआ लिट्टी, जीरा मिर्च नमक का फ्राइ मखान जब आपके सामने परोसा जायेगा, तो आप मिथिला के व्यंजनों की विविधता को करीब से समझ पायेंगे. इस रास्ते गुजरनेवाले अधिकतर लोग आज इस पारंपरिक मिथिला के व्यंजनों का स्वाद लेने से नहीं चूकते हैं. बिहार में पर्यटन स्थल का एक बड़ा केंद्र बन चुका मिथिला अर्बन हाट में देश ही नहीं विदेश के लोग भी आकर मिथिला के व्यंजन का स्वाद चख रहे हैं.
मिथिला के पारंपरिक व्यंजन का स्वाद चखना अपने आप में अदभुत अनुभव
मिथिला अर्बन हाट पहुंचे मंत्री, जल संसाधन विभाग सह सूचना एवं जनसंपर्क विभाग संजय कुमार झा ने कहा कि अब देश-विदेश के लोग भी मिथिला अर्बन हाट पर पारंपरिक व्यंजन का स्वाद ले रहे हैं. पहले ऐसी व्यवस्था कहीं नहीं थी. अब एनएच 57 से मात्र 50 मीटर की दूरी पर मिथिला अर्बन हाट स्थित है. उन्होंने कहा कि लाइव किचेन के साथ स्थानीय भोजन शैली परंपरा के अनुरूप पीढ़ी पर बैठकर चावल, मरुआ और मकई की रोटी, अरिकंचन की सब्जी, साग, बगिया, मखाने की खीर आदि का स्वाद चखना अपने आप में अदभुत अनुभव है. संजय झा ने कहा कि मिथिला अर्बन हॉट के निर्माण से यहां के लोगों को रोजी रोजगार भी मिल रहा है. संजय झा ने कहा कि मिथिला अर्बन हाट की देश ही नहीं विदेशों में भी चर्चा हो रही है. वहीं पर्यटन विभाग के सचिव अभय कुमार सिंह ने कहा मिथिला अर्बन हाट में मिथिला के पारंपरिक व्यंजन स्थानीय लोगों के हाथों स्थानीय संसाधनों से तैयार कर खिलाया जाता है, जो अति स्वादिष्ट है.
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और भी हैं कई आकर्षक सुविधाएं
मिथिला हाट स्थानीय उत्पाद की बिक्री की उपलब्धता भी यहां की विशेष पहचान बन चुकी है. मिथिला हाट में फूड कोर्ट, एम्फिथिएटर, ऑडिटोरियम, सोवेनियर शॉप, 5 शॉप कलस्टर जोन हैं, हर कलस्टर में 10 शॉप्स बनाए गए हैं. महिला और पुरुष डोरमेट्री, कॉन्फ्रेंस रूम, एडमिनिस्ट्रेशन ब्लॉक, टिकट काउंटर के अलावा पार्किंग स्पेस और ट्वायलेट्स ब्लॉक बनाए गए हैं. इसके साथ ही यहां के तालाब में नौका विहार की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है, कैफे और रेस्टोरेंट शुरू कर दिए गए हैं, शीघ्र ही वाटर स्पोर्ट्स एक्टीविटी, साउंड एंड लाइट शो, पारंपरिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम, आवासन की व्यवस्था, गेमिंग जोन, फ्लोटिंग रेस्टोरेंट व कैंपिंग फैसिलिटी आदि की सुविधा शुरू कर दी जाएगी. यहां एक ओपन एयर थिएटर भी बनाया गया है, जहां हर सप्ताहांत पर विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लिया जा सकेगा. इस हेतु उन्होंने प्रबंध निदेशक, बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम को इस संबंध में आवश्यक दिशा- निर्देश दिये.