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Diwali 2022: बिहार में छोटी दिवाली आज, प्रकाश पर्व कल, जानें कब जलाया जाएगा यम का दीया

Diwali 2022: बिहार में प्रकाश पर्व दीपावली से एक दिन पूर्व रविवार को यम दीवाली मनायी जाएगी. आज यमराज की पूजा होती है. छोटी दिवाली के दिन तेल का एक चौमुखा दीपक जलाया जाता है. जिसे यम का दिया कहा जाता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 23, 2022 1:33 PM
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बिहार में प्रकाश पर्व दीपावली से एक दिन पूर्व रविवार को यम दीवाली मनायी जाएगी. इसके लिए अधिकांश लोगों ने तैयारी पूरी कर ली है. घर की मुकम्मल साफ-सफाई के साथ ही रंग रोगन का काम पूरा कर लिया गया है. रविवार की संध्या घर की बुजुर्ग महिला यम-दीप निकालेंगी. इसके अगले दिन दीपोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा. उल्लेखनीय है कि दीपावली से एक दिन पूर्व यम दीवाली मनाचप जाती है. परंपरा अनुरूप घर की महिला गोबर के दीये को जलाकर घर के कोने-कोने में इसे दिखाएंगी. इसके बाद उस दीप को घर से बाहर कचरे के ढेर पर डाल देंगी.

छोटी दीवाली के अगले दिन प्रकाश पर्व

मान्यता है कि यम-दीप की रोशनी जहां-जहां पड़ती है, वहां से दरिद्र रुपी यम भाग जाता है. इसके बाद धन की देवी लक्ष्मी का आवाहन श्रद्धालु करते हैं. यम दीवाली के अगले दिन प्रकाश पर्व मनाने की तैयारी लोगों ने लगभग पूरी कर ली है. मिट्टी के दीयों का प्रबंध कर लिया है. घर को सतरंगी रोशनी से सजाने के लिए बिजली झालरों की खरीदारी भी कर ली है. दीपावली की शाम ढलते ही शहर से लेकर गांव तक कोना-कोना जहां रोशनी से जगमग होगा, वहीं पूरा जिला दुल्हन की तरह निखरा नजर आएगा. हालांकि धनतेरस के दिन से ही विशेषकर शहरी क्षेत्र बिजली बल्बों की टिमटिमाहट जगमगाने लगा है.

जानें कब जलेगा यम का दीया

आज यमराज की पूजा होती है. छोटी दिवाली के दिन तेल का एक चौमुखा दीपक जलाया जाता है. जिसे यम का दिया कहा जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं छोटी दिवाली के दिन यम का दीपक क्यों जलाया जाता है. आज 23 अक्टूबर 2022 दिन रविवार की देर शाम में यम का दिया जलाया जाएगा. खाना खाकर सोने से पहले यम का दीया जला दें. हिंदू कैलेंडर के अनुसार ​कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी वाले दिन छोटी दिवाली मनायी जाती है.

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जानें यम का दीया जलाने की परंपरा

यम के नाम से दीपदान की परंपरा पुराण काल से चली आ रही है. इस दिन यमराज के लिए आटे का चौमुख दीपक बनाकर उसे घर के मुख्य द्वारा पर रखा जाता है. घर की महिलाएं या मुख्य पुरुष रात के समय इस दीपक में तेल डालकर चार बत्तियां जलाती हैं. इस दीपक का मुख दक्षिण दिशा की ओर होता है. दीपक जलाते समय दक्षिण दिशा की ओर मुख करके ‘मृत्युनां दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम्’ मंत्र का जाप किया जाता है.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा

ज्योतिष, वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ

मो. 8080426594/9545290847

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