बिहार में मरीजों के इलाज में अब लापरवाही नहीं चलेगी. साथ ही, अब ओपीडी और इमरजेंसी में डॉक्टर को समय पर आना होगा. वे ओपीडी में कितने बजे आये और कितने मरीजों को देखा, इसकी पल-पल की जानकारी पटना स्थित मुख्यालय को मिलेगी. मुख्यमंत्री डिजिटल हेल्थ योजना के तहत सूबे के 38 जिलों का कंट्रोल रूम पटना में बनाया गया है. इसमें सभी जिलों के एपीएचसी से लेकर सदर अस्पताल तक की मॉनिटरिंग होगी. अगर डॉक्टर मरीज को नहीं दिख रहे हैं और बाहर की दवाएं लिख रहे हैं तो मुख्यालय से उन्हें फोन आना शुरू हो जायेगा.
सरकारी अस्पताल की व्यवस्था की जानकारी मरीजों को घर बैठे मिलेगी
मरीजों को अब घर बैठे अपने नजदीक के सरकारी अस्पताल में कौन से डॉक्टर बैठे हैं, कौन-सी जांच उपलब्ध है. दवा कितनी है, इसकी जानकारी घर बैठे मिलेगी. ये सभी सुविधाएं अप्रैल माह से मरीजों को मिलने लगेंगी. सरकार की ओर से शुरू किये गये मुख्यमंत्री डिजिटल हेल्थ योजना के तहत यह जानकारी मिलेगी. इस योजना से स्वास्थ्य सुविधाएं डिजिटल तकनीक के माध्यम से जिले के लोगों तक पहुंचायी जायेंगी. डिजिटलाइजेशन की यह प्रक्रिया बिहार स्टेट हेल्थ सिस्टम डिटिलाइजेशन (बीएचएवीवाइए डिजिटल प्लेटफॉर्म) के तहत किया जा रहा है.
डिजिटल माध्यम से लोगों तक बढ़ेगी पहुंच
जिला अस्पताल, रेफरल अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, एपीएचसी और एचएससी में हेल्थ इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया जायेगा. डीपीएम रेहान अशरफ ने बताया कि इस योजना का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं को डिजिटल माध्यम से लोगों तक पहुंचाना है. जिससे समय से उन्हें उपचार मिल सके. इसके साथ ही, किसी भी मरीज के इलाज में कोई लापरवाही पर सीधे नजर रखी जा सकेगी. ओपीडी और पीएससी में डॉक्टर भी नियमित मौजूद रहेंगे.