बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजगीर के वैभारगिरि पहाड़ी पर लगी आग की जांच का निर्देश दिया है. गुरुवार को राजगीर आये मुख्यमंत्री ने पहाड़ी क्षेत्र में हुई अगलगी की घटना का हवाई सर्वेक्षण किया. इसके बाद राजगीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में वैभारगिरि पर्वत के कुछ हिस्सों में पिछले दिनों हुई अगलगी की घटना को लेकर समीक्षा बैठक की. मुख्यमंत्री ने अगलगी की घटना को काफी दुखद बताते हुए कहा कि बचपन से हम अपने पिता के साथ यहां आते रहे हैं. 2009 में हम यहां सात दिनों तक रहकर एक–एक चीज को जाकर देखा था और उसके बाद यहां के पर्वतीय क्षेत्र को हरा-भरा बनाने के हरसंभव उपाय के निर्देश दिये थे. यहां के पर्वतों पर हेलीकाॅप्टर से बीज का छिड़काव कराया गया.
सीएम ने कहा कि पहले ऊपर से पहाड़ी एकदम सूखा दिखता था. इस प्रकार अगलगी की घटना यहां हमने पहले कभी नहीं सुनी थी. आग लगने की जानकारी मिलने पर मुझे काफी तकलीफ हुई है. राजगीर देश ही नहीं दुनिया का पौराणिक स्थल है. यहां विकास के अनेक कार्य कराये गये हैं. इस प्रकार की घटना से सब कुछ बर्बाद हो जायेगा.
सीएम ने कहा कि जरूरत के अनुसार यदि कर्मियों की नियुक्ति करनी हो या सामग्री खरीद की जरूरत हो तो तत्काल इसका प्रस्ताव भेजकर पुख्ता तैयारी रखी जाए और हर जरूरी कदम उठाये जाएं. उन्होंने कहा कि पर्वत के ऊपर का कुछ हिस्सा केंद्र सरकार के अधीन है. आज कल केंद्र द्वारा कहीं कुछ नहीं किया जा रहा है. उस हिस्से को भी हमलोगों को अपनी तरफ से ही सुरक्षित रखना होगा. उन्होंने अधिकारियों को तत्काल जो भी जरूरत है, उस दिशा में निर्णय लेने को कहा. साथ ही इससे संबंधित प्रस्ताव देने को कहा, जिसे सरकार पूरी करेगी.
सीएम ने कहा कि यहां के पर्वत आयुर्वेदिक दवाइयों व जड़ी बूटियों के लिए काफी प्रसिद्ध हैं. अपने पिता जी के साथ बचपन से हम यहां जड़ी–बूटियों के लिए आया करते थे. पर्यटन को बढ़ावा देने एवं पर्यटकों को सुविधा मुहैया कराने के लिए यहां कई काम किये गये हैं.
मुख्यमंत्री ने अगलगी के वास्तविकता का पता लगाने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि यहां के पर्वत के ऊपर विभिन्न धर्मों के मंदिर हैं और कई तरह के लोग भी रहते हैं. ऊपर रहनेवाले पर्यटकों पर विशेष नजर रखने को कहा. इसके लिए यहां तैनात लोगों को अलर्ट मोड में रहने का निर्देश दिया. सीएम ने अगलगी से हुइ क्षति को ठीक कराने की दिशा में जल्द कार्रवाई करने को कहा. उन्होंने कहा कि इस प्रकार की घटना दोबारा घटित न हो, इसकी विशेष रूप से निगरानी रखी जाये.
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष भी यहां मलमास मेला लगने वाला है. यह मान्यता है कि उस दौरान 33 करोड़ देवी–देवता यहां वास करते हैं. प्रत्येक तीन वर्ष पर मलमास मेला यहां लगता है. उसके लिए भी सरकार की तरफ से पूरा इंतजाम किया जाता है. कोविड–19 के कारण 2020 में मेले का आयोजन नहीं हो सका था, इसलिए इस बार मलमास मेले में ज्यादा लोगों के आने की संभावना है. मलमास मेले में आनेवाले लोगों की वैकल्पिक व्यवस्था पहले सुनिश्चित करने तथा इसके लिए स्थायी व्यवस्था को ध्यान में रखकर निर्णय लेने का निर्देश दिया.
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इस दौरान नालंदा के डीएम शशांक शुभंकर ने प्रजेंटेशन के माध्यम से वैभारगिरि पर्वत के अलग–अलग हिस्सों में हुई अगलगी की घटनाओं के संबंध में विस्तृत जानकारी दी. बैठक में अग्निशमन सेवायें की डीजी शोभा अहोतकर और नालंदा के जिला वन पदाधिकारी विकास अहलावत ने वैभारगिरि पर्वत पर हुई अगलगी की घटनाओं व कार्रवाई के बारे में विस्तृत जानकारी दी.