बिहार में 10 लाख लोगों को मिलेगी नौकरी और 10 लाख को रोजगार, सीएम नीतीश कुमार ने किया ऐलान
मुख्यमंत्री ने कहा कि सात निश्चय पार्ट टू के तहत हमने 10 लाख रोजगार और दस लाख लोगों को नौकरी देने का लक्ष्य रखा है. आगामी विधानसभा चुनाव से पहले हम नौकरी देने का लक्ष्य पूरा कर लेंगे.
बिहार में एक साल के अंदर आठ लाख लोगों को रोजगार और सरकारी नौकरी दी जायेगी. सीएम नीतीश कुमार ने मंगलवार को बिहार विधानसभा में कहा कि राज्य सरकार 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले 10 लाख नौकरियां और 10 लाख रोजगार देने का अपना वादा पूरा करेगी. उन्होंने कहा कि राज्य में पुलिस बलों की बहाली भी की जाएगी. जिसके बाद पुलिस बलों की संख्या 2 लाख 27 हजार हो जायेगी. वर्तमान में इनकी संख्या एक लाख 10 हजार है. पहले 5 लाख 35 हजार लोगों को नौकरी दी गयी और रोजगार भी दिया गया.
सात निश्चय तय कर किया गया विकास
मुख्यमंत्री के संबोधन के दौरान विधानसभा में विपक्षी सदस्यों ने सदन से वॉकआउट कर दिया. सदन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 2005-10 और 2010 से 2015 तक सात निश्चय तय कर विकास कार्य किये गये. कोरोना के समय में लोगों के लिए रोजगार की व्यवस्था की गई. लोगों को अपने घरों में रहकर काम करने को कहा गया. पंचायतों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई जिसकी देश भर में चर्चा हुई.
अतिपिछड़ा वर्ग को खत्म करने की हुई थी साजिश
सीएम ने कहा कि 1978 में तत्कालीन सीएम कर्पूरी ठाकुर ने पिछड़ा वर्ग में अतिपिछड़ा वर्ग भी बनाया और दोनों को आरक्षण दिया. उन्होंने राजद की तरफ इशारा करते हुए कहा कि बाद में पिछड़ा और अतिपिछड़ा को खत्म कर केवल पिछड़ा वर्ग रखने की साजिश हुई. हमने इसका पुरजोर विरोध किया और कहा कि हम बर्दाश्त नहीं करेंगे.
10 लाख रोजगार और दस लाख लोगों को नौकरी देने का लक्ष्य
मुख्यमंत्री ने कहा कि सात निश्चय पार्ट टू के तहत हमने 10 लाख रोजगार और दस लाख लोगों को नौकरी देने का लक्ष्य रखा है. आगामी विधानसभा चुनाव से पहले हम नौकरी देने का लक्ष्य पूरा कर लेंगे. दस लाख से भी ज्यादा सरकारी नौकरियां दी जाएंगी.
पुलिस विभाग में होगी बंपर बहाली
सीएम ने कहा कि 2005 में आने पर पुलिस बल की संख्या करीब 42 हजार 781 है. इसके बाद इनकी संख्या बढ़ाकर एक लाख 10 हजार कर दी गई. करीब 21 हजार 391 पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है. अब पुलिस बल की संख्या बढ़ाकर दो लाख 27 की जायेगी.
शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग में बढ़ी कर्मियों की संख्या
शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि विभाग में कर्मियों की कम संख्या का जिक्र कर मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी संख्या भी बढ़ाई गई. इससे व्यवस्था सुधरी है. 2005 में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में महीने में केवल 29 रोगी ओपीडी में आते थे. अब 11 हजार रोगी प्रतिदिन आते हैं. हम लोगों ने काम किया. उन्होंने कहा कि हम लोगों ने पुल-पुलिया, सड़क बनवाया. इससे अभी सुदूर इलाकों से पटना करीब छह घंटे में पहुंच सकते हैं, वहीं आने वाले समय में पांच घंटे में पहुंचने का समय सीमा तय किया है.
इधर-उधर नहीं जाने वाले
2020 में संख्या थी, मिलकर काम करना है. हम इधर-उधर नहीं जाने वाले हैं. कोई भी पार्टी को छोड़ेगा ताे उसको पदत्याग करना होगा तो चुनाव होगा. जो हमलोगों की तरफ से जीता है, वो हार जायेगा, ऐसे में जब वह फिर से हमलोगों की तरफ आयेगा तभी फिर जीतेगा.
हिंदू-मुस्लिम में होता था झगड़ा
पहले हिंदू-मुस्लिम में बराबर झगड़ा होता था, अब ऐसा नहीं होता. हर जगह माहौल ठीक किया गया. कब्रिस्तान 8519 कब्रिस्तानों की घेराबंदी की गई, 300 से अधिक काम हो रहा है और चार सौ के लगभग बचा है. उनकी भी घेराबंदी होगी. मंदिरों में चोरी होती थी, ऐसे में 60 साल पुराने मंदिरों की घेराबंदी करा दी गई है, अब 60 साल से अधिक पुराने मंदिरों की घेराबंदी होगी.
जाति आधारित जनगणना
जाति आधारित गणना की क्रेडिट ये लोग लेना चाहते हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि 1990 में केंद्रीय राज्यमंत्री रहने के दौरान जाति आधारित जनगणना के बारे में सबसे पहले तत्कालीन उपराष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने बताया था. वित्त मंत्री मुध दंडवते और प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह थे. हम लोगों ने अब राज्य में जाति आधारित गणना लागू किया. यहां जातियों की संख्या आने के बाद उनकी आरक्षण की सीमा बढ़ाई गई. 50 से बढ़ाकर 65 फीसदी कर दी गई. वहीं सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए पहले से 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है. जाति आधारित गणना के दौरान ही आर्थिक स्थिति का भी आकलन कराया गया. इसके आधार पर गरीब परिवाराें की पहचान की गई. अब उनके उत्थान के लिए योजना शुरू की.