बिहार सरकार अब केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को घेरने के लिए एक और तैयारी कर रही है. जनगणना पर केंद्र सरकार को घेरने के बाद अब केंद्र सरकार को बिहार को विशेष दर्जा देने की पुरानी मांग पर घेरा जाएगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसका ऐलान किया है. सीएम नीतीश कुमार ने एक कार्यक्रम के दौरान इसका ऐलान किया है. उन्होंने केंद्र सरकार से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की है. सीएम ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिला, तो इसे दिलाने के लिए अभियान चलाया जाएगा.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की है. गुरुवार को बापू सभागार में मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत एक दिवसीय उन्मुखीकरण एवं प्रथम किस्त वितरण समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिला, तो इसे दिलाने के लिए हम अभियान चलायेंगे. इस मौके पर उन्होंने 12 लाभार्थियों को प्रथम एवं द्वितीय किस्त का सांकेतिक चेक दिया. कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री उद्यमी योजना पुस्तिका का विमोचन भी किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बार हमने जाति गणना करायी, जिसमें आर्थिक स्तर की भी गणना हुई है. जो भी पिछड़े हैं, सबके उत्थान के लिए काम करेंगे. उन्होंने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाए, तो दो साल में ही बिहार का विकास हो जायेगा. अगर बिहार को विशेष दर्जा नहीं देंगे, तो इसका मतलब है कि आप बिहार का विकास करना नहीं चाहते.
Also Read: बिहार क्राइम न्यूज: ट्रेन के शौचालय में हत्या, पत्नी से अवैध संबंध के शक में भाई का मर्डर, पढ़िए बड़ी खबरें..
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जाति गणना के आधार पर नये आरक्षण विधेयक पर राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर से दस्तखत करने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा कि आरक्षण बढ़ाने के विधेयक को विधानसभा और विधान परिषद से पास कराकर राज्यपाल को भेजा गया है. वे पटना में नहीं थे. अखबारों को पढ़कर पता चला कि गुरुवार को ही पटना लौटे हैं. उनका दस्तखत होते ही कानून लागू हो जायेगा. इससे सभी वर्गों को इसका लाभ मिलने लगेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार का गौरवशाली इतिहास रहा है, इसी बिहार से सारी शुरुआत हुई और आज यही पीछे है. हम तो लोगों के हित में हर वर्ग के उत्थान के लिए काम करते हैं. केंद्र में कोई योजना बनती है, तो प्रचार करते हैं और उनकी हिस्सेदारी 60% होती है और राज्य सरकार को 40% हिस्सा देना पड़ता है. इससे राज्यों को कोई फायदा नहीं मिलता है. ऋण लेकर पूरे राज्य के विकास के लिए काम कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने अधिकारियों से कहा है कि गांवगांव में जाकर राज्य सरकार के कामकाज को प्रचारित करें. वहां असुविधाएं और लोगों की मांग को नोट करें. उनकी समस्या को दूर करें. उन्होंने उद्योग विभाग के अधिकारियों से कहा कि मुख्यमंत्री उद्यमी योजना पर तेजी से काम करें और अधिक-से-अधिक लोगों को लाभ दिलाएं. इसके बारे में प्रचार-प्रसार कराएं. लाभार्थी खूब मन लगाकर काम करेंगे तो अपने परिवार का भला करेंगे जिससे उनके परिवार की तरक्की होगी, सभी लोगों का विकास होगा और बिहार का विकास होगा. कार्यक्रम में मुख्यमंत्री उद्यमी योजना से लाभान्वित स्वाति सुधा और मिताली ममता ने उद्यमिता के क्षेत्र में अपने कार्यों के अनुभव को साझा किया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की इस योजना से अपना रोजगार कर रहे हैं और लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं.
गौरतलब है कि पूर्व में हुए जदयू विधानमंडल की बैठक में भी तय हुआ था कि जदयू एक अभियान चलाएगी. दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 9 नवंबर को हुई इस बैठक में कहा कि जातीय गणना, आरक्षण के दायरे को बढ़ाने समेत समाज के हर तबके के जीतन स्तर में विकास की कार्य योजना बनायी गयी है. इसकी जानकारी आमलागों तक पार्टी राज्यभर में संगठित रूप से अभियान चलाकर देगी. मंत्री विजय चौधरी के आवास पर हुई इस बैठक में ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू नेताओं से कहा था कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलने वाले विषय पर जोर-शोर से अभियान चलाया जाए. सीएम ने केंद्र सरकार के द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर जातिगत जनगणना कराने की मांग पर भी जोर देने इस अभियान में कहा. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह से उन्होंने ये बातें कहीं थी.