बिहार में गाड़ियों के चलान काटने का अब यह तरीका नहीं चलेगा, सीएम नीतीश ने दिया आदेश
Bihar: बिहार में अब पुलिस अवर निरीक्षक (दारोगा) रैंक से नीचे के पुलिसकर्मी चालान काटने के अधिकारी नहीं होंगे. इसके साथ ही कई और तरह के बदलाव किए गए है.
बिहार में ट्रांस्पोर्टेशन को आसान बनाने के लिए नीतीश सरकार लगातार काम कर रही है. इसी कड़ी में अब मुख्यमंत्री ने एक और आदेश जारी किया है. जिसके मुताबिक अब प्रदेश में यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों पर पुलिसवाले मोबाइल कैमरों से तस्वीर खींचकर चालान नहीं काट पाएंगे. उन्हें चालान करने के लिए हर हाल में हैंड हेल्ड डिवाइस (एचएचडी) का इस्तेमाल करना होगा. मुख्यमंत्री से आदेश मिलने के बाद अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) यातायात सुधांशु कुमार ने इस बाबत सभी आईजी, डीआईजी व एसपी को निर्देश जारी किया है.
दरोगा से नीचे के पुलिसकर्मी नहीं काट सकेंगे चालन
शासन की तरफ से जारी किए गए आदेश के मुताबिक अब बिहार में पुलिस अवर निरीक्षक (दारोगा) रैंक से नीचे के पुलिसकर्मी चालान काटने के अधिकारी नहीं होंगे. हालांकि, यह नियम पहले से प्रभावी है, मगर इसका सख्ती से अनुपालन कराने का निर्देश सभी सीनियर पुलिस अधिकारियों को दिया गया है.
पुलिस मुख्यालय को मिल रही थी शिकायतें
दरअसल, पुलिस मुख्यालय को ऐसी शिकायतें मिल रही थीं कि कई जिलों में सिपाही स्तर के पुलिसकर्मी मोबाइल कैमरे से गाड़ियों की नंबर प्लेट की तस्वीर लेकर बाद में एचएचडी से ई-चालान जेनरेट कर रहे हैं. इसके अलावा दारोगा, रैंक के नीचे के पुलिसकर्मियों के द्वारा भी वाहन चालकों को चालान का डर दिखाकर जुर्माना वसूला जा रहा था. इसके बाद पुलिस मुख्यालय ने मामले का संज्ञान लेते हुए सभी क्षेत्रीय व जिलों के वरीय पुलिस अफसरों को इससे संबंधित निर्देश जारी किया है. इसका उल्लंघन करने पर संबंधित पुलिसकर्मी व पदाधिकारी भी कार्रवाई की जाएगी.
एचएचडी से चालान से आएगी पारदर्शिता
राज्य के सभी जिलों में लाल-पीली पर्ची पर कटने वाले मैनुअल चालान को पहले ही पूरी तरह बंद किया जा चुका है.
इसकी जगह नियमों का उल्लंघन करने पर ई-चालान करने के लिए जिलों को 1800 से अधिक हैंड हेल्ड डिवाइस (एचएचडी) दिए गए हैं.
पुलिस के वरीय अधिकारियों के अनुसार, एचएचडी मशीनों से ई-चालान करने और खींची जाने वाली तस्वीरों में अक्षांश-देशांतर के साथ तारीख और समय भी अंकित होता है.
इससे ई-चालान की व्यवस्था में पारदर्शिता रहती है. इसी पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए फिर से आदेश जारी किया गया है.