ट्यूशन को लेकर केंद्र सरकार के नये कानून से कोचिंग संचालक नाराज, बोले- बढ़ेगी बेरोजगारी, गिरेगा शिक्षा का स्तर
अभिभावक भी परेशान रहते हैं. सभी ने बिहार सरकार के नियम के तहत ही कोचिंग और ट्यूशन सेंटर संचालित होने की बात बतायी और बिहार सरकार के नियम में 16 साल से कम उम्र के बच्चों को कोचिंग या ट्यूशन में नहीं पढ़ाने जैसी कोई बाध्यता नहीं है.
छपरा. केंद्र सरकार के कोचिंग को लेकर जारी किये गये नये नियम से संचालकों व आमलोगों में नाराजगी है. कोचिंग संचालकों का कहना है कि केंद्र सरकार का यह नियम पूरी तरह से अव्यवहारिक है. इससे और बेरोजगारी बढ़ेगी और शिक्षा के स्तर में गिरावट आयेगी. जहां तक छपरा की बात है, तो यहां कोई भी बड़े इंस्टीट्यूट नहीं हैं, जो लाखों लेकर नामांकन कराते हैं और बच्चों को प्रताड़ित करते हैं. अभिभावक भी परेशान रहते हैं. सभी ने बिहार सरकार के नियम के तहत ही कोचिंग और ट्यूशन सेंटर संचालित होने की बात बतायी और बिहार सरकार के नियम में 16 साल से कम उम्र के बच्चों को कोचिंग या ट्यूशन में नहीं पढ़ाने जैसी कोई बाध्यता नहीं है.
150 से अधिक आवेदन आये, पर एक का भी नहीं हुआ पंजीयन
सारण की शिक्षा विभाग की भी लापरवाही सामने आयी है. साल 2010 से अभी तक 150 से अधिक कोचिंग संचालकों ने अपने संस्थान के रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन दिया, पर एक का भी रजिस्ट्रेशन नहीं किया गया है. जिले में लगभग 1200 बड़े और छोटे कोचिंग संस्थान बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं, जिसकी संख्या 1200 है. 2013 में जिले के प्रखंडों में कराये गये सर्वेक्षण के आधार पर यह आंकड़ा सामने आया था. सारण के 20 प्रखंडों और उस समय के 330 पंचायतों के सर्वेक्षण में कई नयी बातें भी सामने आयी थीं. इसमें बिना भवन और बुनियादी सुविधाओं के ही संस्थानों का संचालन हो रहा था, जो कि अब भी हालात वही है.
क्या कहते हैं संचालक
केमिस्ट्री क्लासेज, काशी बाजार के निदेशक पंकज कुमार सिंह ने कहा कि हमलोग बिहार कोचिंग संचालन अधिनियम का पालन करते हुए संस्थान का संचालन कर रहे हैं. ऐसे में केंद्र सरकार का नया फरमान अव्यवहारिक है. छपरा में 16 साल से कम उम्र के बच्चों को कोचिंग में नहीं पढ़ाया जाता है. यदि ऐसा है, तो वह ट्यूशन सेंटर में है. वहीं लूसेंट कोचिंग के निदेशक पीके सर ने कहा कि छपरा में कोचिंग कहां है, ये सभी तो ट्यूशन सेंटर हैं. जहां घंटे भर की पढ़ाई होती है. बच्चों को प्रताड़ित नहीं किया जाता. ओवर टास्क नहीं दिया जाता. अभिभावक ही बच्चों को एडमिशन कराने आते हैं. ऐसे में केंद्र का नया फरमान बरोजगारी बढ़ाने वाला है.
केंद्र का नया कानून किसी के हित में नहीं
ग्रोथ एकेडमी के ब्रांच मैनेजर विजेंद्र शर्मा ने कहा कि छपरा में कुछ कोचिंग संस्थान हैं, जो रोजगारपरक हैं. मसलन फायर सेफ्टी अफसर से जुड़े जो भी कोचिंग संस्थान हैं उनमें बच्चों का नामांकन 17 प्लस के रूप में होता है. ऐसे में 16 साल से कम उम्र के बच्चों के नामांकन को लेकर उठाये जा रहे सवाल पूरी तरह से गलत हैं. वहीं सारण जिला कोचिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष मुकुंद प्रसाद ने कहा कि हम सभी कोचिंग व ट्यूशन संचालक बेरोजगार हैं. जो भी संस्थान चला रहे हैं, वे अपना तो रोजी चलाते ही हैं साथ ही 10 और शिक्षित हाथों को रोजगार देते हैं. ऐसे में सरकार को कोई भी आदेश आम पब्लिक के हित में जारी करना चाहिए, न कि मनमाने और अव्यवहारिक तरीके से.
Also Read: बिहार में कोचिंग क्लास पर अधिक निर्भर हैं सरकारी स्कूल के बच्चे, सरकार कर रही अब ये पहल
क्या कहते हैं अभिभावक
दहियावा, छपरा की सुनीता देवी ने कहा कि केंद्र सरकार का नियम सरकारी स्कूलों के उन शिक्षकों पर लागू होना चाहिए, जो अपने स्कूल के बच्चों को जबर्दस्ती ट्यूशन में बुलाते हैं. स्कूल में पढ़ाने में उनका मन नहीं लगता है. बच्चों को कोचिंग में नहीं भेजेंगे, तो स्कूल में पढ़ाई कहां हो रही है. वहीं दौलतगंज, छपरा के संजय अग्रवाल ने कहा कि केंद्र सरकार का नियम बिल्कुल सही है. इससे बच्चों को प्रताड़ित करने की मानसिकता कम होगी. बड़े-बड़े कोचिंग संस्थान लाखों रुपये लेकर बच्चों को टार्चर करते हैं. मानसिक रूप से ऐसा दबाव बनाते हैं कि बच्चे आत्महत्या करने को बाध्य हो जाते हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी
डीइओ, सारण दिलीप कुमार सिंह ने कहा कि जो भी सरकार का आदेश होगा उसका पालन किया जायेगा. जहां तक बिना पंजीयन के ही कोचिंग संस्थान चलाने की बात है, तो उसकी जांच की जायेगी. जिनके द्वारा आवेदन दिया गया है, उनके संस्थानों का रजिस्ट्रेशन कराया जायेगा. वहीं एक शिक्षा अधिकारी का भी कहना था कि 16 साल से कम उम्र के बच्चों को कोचिंग जाने से रोकने के आदेश से नवोदय, नेतरहाट, सैनिक व अन्य स्कूलों में षष्ठम और नौवीं कक्षा में नामांकन की तैयारी में बाधा उत्पन्न होगी. पूरी तरह से पड़ताल के बाद ही कदम उठाना चाहिए.