दिल ही नहीं दिमाग को भी बीमार कर रही है ठंड, पटना में 45 दिनों के अंदर बढ़े 30 प्रतिशत मरीज

लोग ठंड का जबरदस्त आनंद उठाते हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि आपके दिल और दिमाग को भी यह मौसम सुहाना लगे. सर्दियों के मौसम में दिल और दिमाग की सेहत बिगड़ने का खतरा काफी बढ़ जाता है. इसमें हार्ट अटैक और हाइपरटेंशन के साथ साथ सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर के मामले भी शामिल है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 1, 2024 4:21 PM

पटना. बिहार में ठंड का प्रकोप इन दिनों बढ़ा हुआ है. सर्दियों का मौसम कई लोगों को पसंद होता है. लोग इस मौसम का जबरदस्त आनंद उठाते हैं. लेकिन, जरूरी नहीं कि आपके दिल और दिमाग को भी यह मौसम सुहाना लगे. सर्दियों के मौसम में दिल और दिमाग की सेहत बिगड़ने का खतरा काफी बढ़ जाता है. इसमें हार्ट अटैक और हाइपरटेंशन के साथ साथ सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर के मामले भी शामिल है. पटना के इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान, पीएमसीएच और आइजीआइएमएस में बीते 24 दिनों के अंदर 478 मरीज हार्ट अटैक के भर्ती हुए हैं, जबकि मानसिक रोग से पीड़ित रोगियों की संख्या में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.

जिलों से रेफर होकर आ रहे हैं मरीज

पटना के अस्पतालों में बिहार के अलग-अलग जिलों से रेफर होकर मरीज पहुंचे हैं. इनमें सबसे अधिक मरीज हृदय रोग संस्थान में 204, पीएमसीएच में 127 और आइजीआइएमएस में 147 मरीज भर्ती किये गये हैं. इन तीनों अस्पतालों में रोजाना 20 से 25 मरीज हार्ट अटैक के पहुंच रहे हैं, जबकि इससे पूर्व यह संख्या अधिकतम 10 से 12 के बीच थी. वहीं इन तीनों अस्पतालों को मिलाकर ब्रेन डेड यानी पहले से ही मृत लोगों के 16 केस आये हैं. इनमें ब्रेन हैमरेज, सड़क दुर्घटना आदि अलग-अलग कारणों के मरीज शामिल हैं.

डिप्रेशन की चपेट में आ रहे लोग

पटना में कई लोग गलन-धूप नहीं निकलने से डिप्रेशन की चपेट में आ चुके हैं. पुराने मानसिक मरीजों की दवा की डोज भी इजाफा हुआ है. खासकर महिलाएं आसानी से डिप्रेशन की शिकार हो रही हैं. शहर के पीएमसीएच, आइजीआइएमएस व न्यू गार्डिनर रोड अस्पतालों की ओपीडी में ऐसे मरीजों की संख्या 30 प्रतिशत बढ़ गयी है. ठंड लगने की वजह से अधिकतर मरीजों को बीपी, शुगर की समस्या के साथ लूज मोशन की शिकायत देखने को मिल रही, जिससे उनकी सेहत पर असर पड़ रहा है.

सर्दी में होता है सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर

दिसंबर के आखिरी सप्ताह से कोहरे ने सितम ढाना शुरू किया है. हालांकि बीते दो दिन से धूप निकल रही है, लेकिन सुबह व शाम के बाद ठंड जस की तस जारी है. ठंड ने दिल-दिमाग को बेचैन कर दिया है. लोग मानसिक बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. आइजीआइएमएस व पीएमसीएच के मानिसक स्वास्थ्य विभाग की ओपीडी में सामान्य दिनों के तुलना में 30 प्रतिशत से अधिक मरीज डिप्रेशन के बढ़े हैं. डॉक्टरों का कहना है कि सर्दी में सूर्य की रोशनी कम मिलती है. ऐसे में मस्तिष्क में न्यूरो-ट्रांसमीटर घटने लगते हैं. इसे सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर कहते हैं.

Also Read: पटना समेत पूरे बिहार में वायरल फीवर का कहर, AIIMS और PMCH शिशु रोग विभाग में 80 प्रतिशत बेड फुल

बुजुर्ग व महिलाओं को अधिक समस्या

सीजनल अफेक्टिव की करीब 65 प्रतिशत शिकार महिलाएं हैं. घरेलू कामकाज में उन्हें पानी के संपर्क में अधिक रहना होता है. इससे उन्हें अधिक समय तक सर्दी झेलनी पड़ती है. पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ आइएस ठाकुर ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य विभाग में सामान्य दिनों की तुलना में करीब 180 से 200 मरीज ओपीडी में आ रहे हैं, जबकि सामान्य दिनों में 110 से 125 के आसपास मरीज आते हैं.

बचाव के लिए यह करें आप

  • – तुरंत मनोचिकित्सक से मिले.

  • – दवा नियमित रूप से लें, लक्षण न रहने पर भी बिना डॉक्टर सलाह दवा न रोके.

  • – अगर मरीज नशा लेता है तो नशे के सेवन पर तुरंत पाबंदी लगानी चाहिए.

  • – मरीज के अस्पताल वातावरण तनावमुक्त बनाएं रखना चाहिए.

  • – मरीज के सम्मान और जरूरतों का ध्यान रखें.

विटामिन डी की कमी का भी खतरा

वरिष्ठ फिजिशियन डॉ बिमल राय ने बताया कि सर्दियों में डिप्रेशन और तनाव बढ़ता है. यह सूर्य के किरणों के चलते होता है. सर्दी में सूर्य की किरणों शरीर को न मिलने से विटामिन डी की मात्रा में कमी आती है, जिससे दिमागी रसायनों में भी बदलाव आता है. इस वजह से मानसिक मरीज सर्दियों में अधिक तनाव में रहते हैं. कई बार दवाएं लेने पर भी उनमें ये लक्षण लगातार बने रहते हैं. ऐसे मानसिक मरीजों में 70 प्रतिशत मौसम का प्रभाव देखा गया है. इन्हें सीजनल मानसिक बीमारियों का नाम दिया गया है.

ठंड में बढ़ जाता है ब्रेन स्ट्रोक का खतरा

आइजीआइएमएस हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ रविविष्णु ने कहा कि ठंड से हार्ट अटैक के मरीजों की संख्या में दोगुने का इजाफा हुआ है. इन दिनों वार्ड पूरी तरह से फुल हैं. उन्होंने कहा कि ब्लड क्लॉटिंग होने के कारण हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. रात एक से सुबह 5 बजे तक सबसे अधिक हार्ट अटैक का खतरा होता है. पर्याप्त मात्रा में पानी पीना जरूरी है.

Next Article

Exit mobile version