बिहार में इस सीजन की सबसे अधिक कड़ाके की ठंड पड़ रही है. सुबह से ही घने कोहरे के साथ बर्फीली हवाएं ऐसी चल रहीं कि लोगों के कंपकपी छूट रही है. फिलहाल, प्रदेश में शीतलहर और पाला गिर रहा है. कड़ाके की ठंड से जनमानस ठिठुर रहा है. वहीं शीतलहर और पाले की चपेट में आलू की फसलें आ रही है. पाला से सबसे ज्यादा नुकसान आलू की फसल को होता है. ठंड लगने से आलू की फसल में झुलसा रोग लग जाता है, जिससे पूरी की पूरी फसल चौपट हो जाती है.
बिहार में ठंड और कोहरे का सितम जारी है. प्रदेश में न्यूनतम तापमान 7 से 10 डिग्री के आसपास बना हुआ है. बिहार में बड़े पैमाने पर आलू की खेती होती है. अगर किसान इतने ठंड में थोड़ी सी भी लापरवाही बरतेंगे तो आलू की फसल को पाला मार सकता है. हालांकि किसान थोड़ी सी सूझबूझ अपनाकर अपनी मेहनत बर्बाद होने से बचा सकते हैं. ठंड लगने की वजह से आलू को झुलसा रोग लग जाता है, जिससे पूरी की पूरी फसल चौपट हो जाती है. शीतलहर और पाला से सबसे ज्यादा नुकसान आलू की फसल को होता है. हालांकि, नियमित अंतराल पर सिंचाई करते रहने से आलू की फसल पाले से बच सकती है.
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आलू की फसल शीतलहर और पाला को सहन नहीं कर पाता है. इसलिए आलू को ठंड से बचाने के लिए रात में फसल के ऊपर प्लास्टिक की चादर डाल सकते हैं. क्योंकि उसी वक्त तापमान में ज्यादा गिरावट देखी जा सकती है. ऐसे करने पर आलू की फसल को पाले से बचाया जा सकता है. वहीं, दिन में चादर को हटा देना होगा. इसके अलावा आलू की फसल पर लकड़ी की राख का छिड़काव करने पर आलू की फसल को थोड़ी गर्मी मिल जाती है और फसल को पाला लगने की संभावना कम हो जाती है. इसके अलावा सड़े हुए छाछ का उपयोग कीटनाशक के तौर पर कर सकते हैं. ये भी फसल को पाले से बचाने का काम करता है.