बिहार के थानों में जब्त 5660 वाहनों की हुई सामूहिक नीलामी, 19 करोड़ रुपये का प्राप्त हुआ राजस्व
विभाग के मुताबिक जब्त वाहनों के निबटारे को लेकर ही अप्रैल 2022 में शराबबंदी कानून में संशोधन करते हुए पेनाल्टी लेकर वाहनों को छोड़ने और निर्धारित समय के भीतर अधिहरण की कार्रवाई का प्रावधान किया गया था, लेकिन पुलिस थानों से डीएम को प्रस्ताव नहीं मिलने से यह सफल नहीं हो सका.
पटना. बिहार के थानों में वर्षों से सड़ रहे वाहनों की सामूहिक नीलामी का राज्य सरकार का फैसला रंग लाता दिख रहा है. फरवरी में यह निर्णय लिये जाने के बाद अब तक निर्धारित तिथियों पर 5660 वाहनों की नीलामी पूरी हो चुकी है, जिससे विभाग को 19 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है. सामूहिक नीलामी की यह प्रक्रिया सभी जिलों में 31 मार्च तक पूरी कर ली जानी है. ऐसे में मद्यनिषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग को नीलामी का यह आंकड़ा तीन गुणा तक बढ़ने की उम्मीद दिख रही है.
पुलिस ने 4496, उत्पाद ने 1164 वाहन किये नीलाम
मद्यनिषेध व उत्पाद आयुक्त बी कार्तिकेय धनजी ने बताया कि प्रारंभिक चरण में विभाग ने 2021 तक के जब्त सभी वाहनों की नीलामी को लेकर कार्य योजना तैयार की है. इसके मुकाबले 19 मार्च तक पुलिस ने 4496, जबकि उत्पाद विभाग ने 1164 वाहन नीलाम कर दिये हैं. सबसे अधिक 1326 वाहनों की नीलामी पूर्वी चंपारण जिले में हुई है. हालांकि, इससे मात्र 1.46 करोड़ रुपये राजस्व मिला. इसके बाद गया जिले में 695 वाहन नीलाम कर 1.74 करोड़, नवादा में 538 वाहन नीलाम कर 80 लाख रुपये, वैशाली में 501 वाहन नीलाम कर सर्वाधिक 3.10 करोड़ रुपये, सीतामढ़ी में 341 वाहन नीलाम कर 59 लाख रुपये, मुजफ्फरपुर में 328 वाहन नीलाम कर 3.05 करोड़ रुपये और पूर्णिया में 216 वाहन नीलाम कर 1.27 करोड़ रुपये राजस्व की प्राप्त की गयी है.
बेनामी गाड़ियों की कोडिंग कर हो रही सामूहिक नीलामी
सामूहिक नीलामी के लिए हर जिले में बेनामी गाड़ियों की गिनती कर उनकी कोडिंग की जा रही है. इसके बाद दो बार सार्वजनिक नोटिस निकाल उन पर आपत्तियां ली जा रही हैं. आपत्तियां नहीं मिलने पर ऐसे सभी वाहनों को राज्यसात करते हुए उनको दो-तीन तिथियों पर सामूहिक रूप से नीलाम किया जा रहा है.
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पुलिस थानों से डीएम को प्रस्ताव नहीं मिलने से हो रही थी दिक्कत
विभाग के मुताबिक जब्त वाहनों के निबटारे को लेकर ही अप्रैल 2022 में शराबबंदी कानून में संशोधन करते हुए पेनाल्टी लेकर वाहनों को छोड़ने और निर्धारित समय के भीतर अधिहरण की कार्रवाई का प्रावधान किया गया था, लेकिन पुलिस थानों से डीएम को प्रस्ताव नहीं मिलने से यह सफल नहीं हो सका. थाना प्रभारियों के पास पुराने वाहनों की जानकारी नहीं होने से ऐसा हुआ. इसको व्यावहारिक बनाने के उद्देश्य से ही सामूहिक अधिग्रहण व सामूहिक नीलामी का निर्णय लिया गया. सामूहिक जब्ती के लिए हर जिले में अपर समाहर्ता स्तर के एक पदाधिकारी और सामूहिक नीलामी के लिए मद्यनिषेध अधीक्षक को प्राधिकृत किया गया है. इस दौरान वाहनों का थर्ड पार्टी से व्यावहारिक वैल्यूएशन भी कराया जा रहा है.