पटना. अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीइ) ने इंजीनियरिंग कॉलेजों की फीस तय कर दी है. यह फीस इसी सत्र 2022-23 से लागू होगी. इसमें पहले वर्ष इंजीनियरिंग प्रोग्राम की फीस करीब 79 हजार रुपये से लेकर 1.89 लाख रुपये सालाना निर्धारित की गयी है. इसके साथ तकनीकी शिक्षण संस्थान सिर्फ चार वर्गों में ही फीस ले सकते हैं, जिसमें ट्यूशन, डेवलेपमेंट, एग्जामिनेशन और अन्य शामिल हैं. कॉलेज ट्यूशन फीस एक हजार रुपये से अधिक नहीं रख सकते हैं. कॉलेजों को चार वर्गों के फीस की जानकारी वेबसाइट पर भी अपलोड करना होगा.
ड्यूल डिग्री, इंटीग्रेटिड प्रोग्राम की अवधि आदि फीस भी निर्धारित कर वेबसाइट पर अपलोड करना होगा. यह फीस सभी सरकारी और निजी कॉलेजों में लागू होगी. एआइसीटीइ फीस निर्धारित रिपोर्ट राज्यों को जल्द भेज देगी और इसे लागू करने का आग्रह करेगी. एआइसीटीइ के अधिकारियों ने कहा है कि अभी तक इंजीनियरिंग कॉलेज स्टूडेंट्स से पांच से छह लाख रुपये फीस वसूलते थे. नये नियम लागू होने से अभिभावकों को राहत मिलेगी. साथ ही निजी कॉलेज मनमानी नहीं कर पायेंगे.
राशि कॉलेजों की सुविधाओं के आधार पर आधारित होगी. कंप्यूटर लैब, शिक्षक, लाइब्रेरी के साथ अन्य सुविधाएं देखी जायेगी. इसके बाद ही तय फीस के अनुसार ही कॉलेज स्टूडेंट्स से फीस लेगा. यह फीस मेट्रो सिटी, ए, बी, सी श्रेणी के आधार पर भी निर्धारित की जायेगी. इसके साथ ही दूसरे, तीसरे व चौथे वर्ष कॉलेज पहले वर्ष लागू फीस में हर वर्ष पांच प्रतिशत तक ही फीस में बढ़ोतरी कर सकता है.
यह फीस सभी प्रोग्राम में दूसरे वर्ष से अंतिम वर्ष तक के प्रोग्राम में लागू किया जायेगा. पहले वर्ष में कॉलेज सुविधाओं और शहर की श्रेणी के आधार पर जितनी फीस निर्धारित करेंगे, उसके आधार पर आगे बढ़ोतरी किया जा सकता है.
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एआइसीटीइ ने कहा है कि आर्किटेक्चर और फार्मेंसी कॉलेजों की फीस, परीक्षा व पाठ्यक्रम से संबंधित फैसला काउंसिल करेगा. आर्किटेक्चर की फीस काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर करेगी और फार्मेसी कॉलेजों के लिए फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया तय करेगी.
एआइसीटीइ ने कहा है कि पहली बार इंजीनियरिंग, डिजाइन, आर्ट एंड क्राफ्ट प्रोग्राम में स्नातक और स्नातकोत्तर प्रोग्राम के लिए न्यूनतम और अधिकतम फीस का स्लैब निर्धारित किया है. इससे पहले फीस का स्लैब निर्धारित नहीं था. जस्टिस श्रीकृष्णन कमेटी और प्रो मनोज कुमार तिवारी कमेटी की सिफारिशों और रिव्यू के आधार पर यह फीस तय किया गया है. हालांकि अभी यह शिक्षा मंत्रालय की मंजूरी के लिए भेजा गया है. यहां से मंजूरी मिलने के बाद इसे लागू कर दिया जायेगा.