पटना. वाणिज्य कर विभाग को कर (टैक्स) नहीं देने वाले कोचिंग संस्थानों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रहा है. नवंबर में ही विभाग दर्जनों कोचिंग संस्थानों को अपने रडार पर लिया है. विभाग इन कोचिंग संस्थानों को जीएसटी में पंजीयन करवा कर कर देने का आग्रह भी कर रहा है. इसके बाद भी कुछ कोचिंग संस्थान अपना जीएसटी पंजीयन इस आधार नहीं करवा रही है कि उनकी कर देयता नहीं बनती है.
वाणिज्य कर विभाग ने कर नहीं देने वाले ऐसे कोचिंग संस्थानों का सर्वे और निरीक्षण करने की रणनीति बनायी है. इसके लिए विभाग पहले शिक्षा विभाग में पंजीकृत कोचिंग संस्थानों का निरीक्षण करेगा और उसके बाद गैर पंजीकृत कोचिंग संस्थान की. वाणिज्य कर विभाग ने कोचिंग संस्थानों के डेटाबेस का विश्लेषण करने के लिए बिजनेस इंटेलीजेंस और आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस जैसे आधुनिक तकनीक का भी उपयोग कर रहा है.
23 नवंबर को वाणिज्य कर विभाग की विशेष टीम ने राजधानी पटना समेत राज्य के 27 जिलों के 32 कोचिंग संस्थानों का निरीक्षण की थी. यह संस्थान बेगूसराय, मधुबनी, समस्तीपुर, भागलपुर, जहानाबाद, नवादा, औरंगाबाद, सासाराम, गया, शाहाबाद, बक्सर, बाढ़, बिहारशरीफ, सहरसा, किशनगंज, कटिहार, फारबिसगंज, पूर्णिया, गोपालगंज, सारण, सीवान, हाजीपुर, बेतिया, सीतामढ़ी, मोतिहारी में एक-एक जबकि मुजफ्फरपुर में दो और पटना में पांच यानी कुल 32 संस्थाएं थी.
इससे पहले 18 नवंबर को विभाग की टीम ने बेगूसराय, झंझारपुर, तेघड़ा, मधुबनी, समस्तीपुर, दरभंगा, भागलपुर, जहानाबाद, नवादा, औरंगाबाद, सासाराम, भभुआ, गया, शाहाबाद, सुपौल, मधेपुरा, सहरसा, खगड़िया, किशनगंज, कटिहार, फारबिसगंज, पूर्णिया, गोपालगंज, सारण, सिवान, हाजीपुर, बेतिया, मोतिहारी, सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर में 38 गैर पंजीकृत कोचिंग छापेमारी थी.
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दरअसल, जीएसटी प्रावधान के अनुसार लगातार छह महीन तक मंथली रिटर्न नहीं दाखिल करने वाले संस्थान को निबंधन रद्द कर दिया जाता है. लेकिन कोचिंग संस्थान दोबारा निबंधन के लिए आवेदन नहीं देती है. जांच के क्रम में विभाग को पता चला कि अधिकांश कोचिंग संस्थानों द्वारा लगातार छह महीन तक मंथली रिटर्न नहीं दाखिल की गई थी. कुछ संस्थान ऐसे भी थे, जिन्होंने स्वेच्छा से अपने जीएसटी निबंधन को रद्द करने का आवेदन दिया था. निरीक्षण के क्रम में इन संस्थानों के विभिन्न केंद्रों पर बड़ी संख्या में छात्र मिले, जिन्हें विभिन्न कोर्स की कोचिंग दी जा रही थी. छात्रों से हजारों रुपयों की फीस लिए जाने के साक्ष्य भी मिले हैं.