पटना. पटना हाईकोर्ट की फटकार और सख्त कार्रवाई के बाद बिहार पुलिस ने झंझारपुर के एडीजे के खिलाफ दर्ज की गयी एफआईआर को वापस ले लिया है. बिहार सरकार की ओर से हाईकोर्ट में पेश वकील ने कोर्ट को इसकी जानकारी दी. इस बीच, हाईकोर्ट की बेंच ने चीफ जस्टिस से आग्रह किया है कि वह बिहार में जजों औऱ न्यायिक पदाधिकारियों पर हो रहे हमले को देखते हुए एक कमेटी बनायें और राज्य सरकार समेत दूसरे संबंधित पक्षों को जरूरी दिशा निर्देश जारी करें.
बिहार के मधुबनी जिले के झंझारपुर में पिछले 18 नवंबर 2021 को एडीजे अविनाश कुमार के चेंबर में घुसकर पुलिसवालों ने मारपीट की थी. इस मामले में जज के बयान के आधार पर पर प्राथमिकी दर्ज हुई थी. प्राथमिकी में घोघरडीहा के तत्कालीन थानाध्यक्ष गोपाल कृष्ण और एसआई अभिमन्यु कुमार शर्मा धारा 341, 342, 323, 353, 355, 307, 304, 306 और 34 के तहत केस किया गया था. घटना के सात महीने बाद इस साल जून में झंझारपुर के एडीजे अविनाश कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिया गया था.
पिछले महीने 4 अगस्त को ये मामला पटना हाईकोर्ट की जानकारी में आया था. जस्टिस राजन गुप्ता और मोहित कुमार शाह की खंडपीठ पुलिस की हरकत जानकर हैरान रह गयी थी. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने ये स्पष्ट कर रखा है कि हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की अनुमति के बगैर किसी जज या न्यायिक पदाधिकारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता, लेकिन मधुबनी पुलिस ने बगैर मंजूरी लिए एडीजे अविनाश कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दिया था.
पुलिस की इस कार्रवाई से नाराज हाईकोर्ट की बेंच ने पूछा था कि क्या बिहार पुलिस सुप्रीम कोर्ट औऱ हाईकोर्ट से भी ऊपर हो गयी है. कोर्ट ने कहा था कि जो इस मामले में दोषी होगा, हम उसे सलाखों के पीछे भेजेंगे. कोर्ट ने अगले दिन बिहार के डीजीपी को तलब किया था. डीजीपी ने कोर्ट में हाजिर होकर पुलिस की गलती मानी थी औऱ कहा था कि पुलिस एडीजे के खिलाफ दर्ज केस को वापस लेगी.
पटना हाईकोर्ट में आज जस्टिस राजन गुप्ता औऱ मोहित कुमार शाह की बेंच में बिहार सरकार के वकील ने बताया कि झंझारपुर के एडीजे अविनाश कुमार के खिलाफ दर्ज एफआईआर को वापस ले लिया गया है. दरअसल एफआईआर दर्ज होने के बाद उसे वापस लेने की अनुमति कोर्ट से लेनी होती है. मधुबनी पुलिस ने झंझारपुर के एसीजेएम के पास केस वापस लेने की अपील की थी. एसीजेएम की मंजूरी के बाद केस वापस ले लिया गया है.
पटना हाईकोर्ट की बेंच ने चीफ जस्टिस से अपील करते हुए कहा है कि वे बिहार में जजों पर बढ़ते हमले के मामलों को देखते हुए एक कमेटी का गठन करें. ये कमेटी बिहार सरकार समेत सभी संबंधित पक्षों को जरूरी दिशा निर्देश जारी करे. माना जा रहा है कि जल्द ही इस संदर्भ में कार्रवाई की जायेगी.