बिहार: कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार के भतीजा की गंगा में डूबने से मौत, नाना के श्राद्धकर्म में गया था प्रीतकांत
प्रीतकांत अपने 14 वर्षीय भाई कौशिककांत के साथ तेघड़ा की अयोध्या गंगा घाट पर स्नान करने गया था. तेघड़ा की अयोध्या गंगा घाट पर नहाने के दौरान दोनों भाई गहरे पानी में डूबने लगे. नदी में नहा कर रहे कुछ स्थानीय लोगों ने बड़ा भाई कौशिक कांत को डूबने से बचा लिया.
बिहार: बेगुसराय के तेघड़ा में अयोध्या गंगा घाट पर गुरुवार को कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार के भतीजा की नदी में डूबने से दर्दनाक मौत हो गयी. मृतक अपने नाना रामजपो सिंह की श्राद्धक्रम में भाग लेने तेघड़ा अयोध्या की पैगंबरपुर गांव आया था. मृतक की पहचान बीहट नगर पर्षद क्षेत्र निवासी मणीकांत सिंह का 12 वर्षीय पुत्र प्रीतकांत कुमार के रूप में की गयी है. घटनास्थल पर मौजूद ग्रामीणों ने बताया कि प्रीतकांत अपने 14 वर्षीय भाई कौशिककांत के साथ तेघड़ा की अयोध्या गंगा घाट पर स्नान करने गया था. तेघड़ा की अयोध्या गंगा घाट पर नहाने के दौरान दोनों भाई गहरे पानी में डूबने लगे. दोनों नाबालिग भाइयों को गंगा की गहरी पानी में डूबते देख कर नदी में नहा कर रहे कुछ स्थानीय लोगों ने बड़ा भाई कौशिक कांत को डूबने से बचा लिया. वहीं छोटा भाई प्रीतकांत कुमार की गंगा नदी में डूबने से मौत हो गयी.
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शव की तलाश जारी
फुलो सहनी के नेतृत्व में स्थानीय गोताखोरों की टीम ने अयोध्या घाट पर गंगा नदी में मृतक की शव को दो घंटे तक खोजबीन की, लेकिन सफलता नहीं मिली. अनुमंडल प्रशासन के आदेश पर एसडीआरएफ की टीम गंगा में बोट से किशोर के लाश की खोजबीन कर रही है. अयोध्या गंगा घाट पर किशोर के डूबने की खबर से परिजनों में कोहराम मच गया है. घटना की सूचना मिलते ही प्रशासन में भी हड़कंप मच गया. तेघड़ा की सीओ रश्मि कुमारी, बरौनी के अंचलाधिकारी सुजीत सुमन, विधायक रामरतन सिंह सहित कई स्थानीय नेताओं व ग्रामीणों की भीड़ दिनभर गंगा के किनारे अयोध्या घाट पर लगी रही. समाचार प्रेषण तक अयोध्या घाट पर गंगा नदी में एसडीआरएफ टीम द्वारा शव की तलाश जारी है.
साथ पढ़ने वाले बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल
विद्यालय के शिक्षकों ने कहा यह बच्चा हमारे ही मध्य विद्यालय मसनदपुर बीहट के वर्ग सात का छात्र था. प्रीतकांत बहुत ही होनहार और आज्ञाकारी था. जब यह खबर सुबह मालूम हुई तो पूरा विद्यालय परिवार शोकाकुल हो गया. उसके दोस्त तो विलाप करके इतना रो रहे थे कि उनको चुप कराते-कराते हमलोग भी रोने लगे. बच्चों को किसी तरह शांत कर उन्हें घर भेज सके.वास्तव में बच्चों का यह दृश्य दिल को झकझोर देने वाला था,ऐसा था हमारा प्रीतकांत.