पटना. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने सर्वे का काम पूरा होते ही राज्य में चकबंदी कराने की तैयारी कर ली है़ लॉकडाउन के कारण सर्वे में देरी हो रही है़ इसकी भरपायी करने के लिए विभाग ने चकबंदी का प्रस्ताव बनाकर काम शुरू कर दिया है़
चार साल में यह काम पूरा कर लेने का लक्ष्य है़ इसको हासिल करने के लिए प्रत्येक महीने औसतन एक हजार गांवों की चकबंदी करनी होगी़ आइआइटी रूड़की की मदद लेने को प्रस्ताव तैयार किया गया है़ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चंकबंदी के लिए आइआइटी रूड़की से खास तरह का साॅफ्टवेयर (‘चक बिहार’ ) तैयार कराया जा रहा है़
इसके लिए अनुबंध की प्रक्रिया चल रही है़ वित्त विभाग की मंजूरी के बाद प्रस्ताव को विधिक राय ली जा रही है़ कैबिनेट की मंजूरी मिलते ही आइआइटी के करीब 200 एक्सपर्ट- तकनीकी कर्मी का दल बिहार पहुंचकर चकबंदी सॉफ्टवेयर बनाने और उसका जमीन पर उपयोग शुरू कराने में मदद देगा़
बिहार में पहली बार चकबंदी में तकनीक का प्रयोग होने जा रहा है़ गुलजारबाग सर्वेक्षण निदेशालय परिसर में प्रयोगशाला बनेगी़ यहीं पर ‘चक बिहार’ सॉफ्टवेयर को विकसित कर राजस्वकर्मियों को प्रशिक्षित किया जायेगा़ ‘चक बिहार’ साॅफ्टवेयर चकबंदी में राजस्वकर्मियों की दखल को नगण्य कर देगा़ अमीन आदि कर्मियों पर चकबंदी का मात्र 20 फीसदी काम होगा़ बाकी काम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से पूरा होगा़
भू -अभिलेख निदेशालय ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से चकबंदी के लिए आइआइटी रूड़की की सेवाएं लेने के लिए कैमूर में पायलट प्रोजेक्ट के तहत काम किया़ यहां के कनैरा कम्हारी गांव के सर्वे, चकबंदी खतियान नक्शे को आइआइटी रूड़की भेजा़
आइआइटी की प्रयोगशाला में दस्तावेजों का डिजिटाइलेशन किया़ इसके बाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डीप लर्निंग विधि से चक काटे गये़ सब कुछ ठीक होने पर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इस तकनीक को मंजूरी देते हुए आइआइटी से अनुबंध करने का निर्णय लिया़
Posted by Ashish Jha