बढ़ती आय और डिजिटल बदलाव के चलते भारत में कंजम्प्शन फंड को मिल रहा बढ़ावा, एक्सपर्ट से जानिए इसका कारण

Consumption funds: देश में कंजम्प्शन फंड्स भी तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं, क्योंकि निवेशक अब देश की उपभोक्ता-प्रेरित अर्थव्यवस्था में अधिक रुचि दिखा रहे हैं.

By Prashant Tiwari | November 17, 2024 11:20 AM

भारत में निवेशकों के लिए म्यूचुअल फंड, प्रमुख निवेश विकल्पों में से एक बन चुका है. पिछले कुछ वर्षों में म्यूचुअल फंड को लेकर लोगों की रुचि काफी तेजी से बढ़ी है. लोग इसे भविष्य के सुरक्षित बचत विकल्प के रूप में देख रहे हैं. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 10 वर्षों में भारतीय म्यूचुअल फंड के एसेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) में 7 गुना बढ़त दर्ज की गई है. सितंबर 2024 तक एयूएम 67.09 ट्रिलियन रुपए दर्ज किया गया, जबकि 30 सितंबर 2014 को यह 9.59 ट्रिलियन रुपए था. 

पूनम सिक्योरिटीज के निदेशक राजीव मुरारका

निवेशक उपभोक्ता-प्रेरित अर्थव्यवस्था में दिखा रहे रुचि: राजीव मुरारका

पूनम सिक्योरिटीज के निदेशक राजीव मुरारका इस बारे में बताते हैं कि आज के समय में कंजम्प्शन फंड्स भी तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं, क्योंकि निवेशक अब देश की उपभोक्ता-प्रेरित अर्थव्यवस्था में अधिक रुचि दिखा रहे हैं. जैसा कि नाम से स्पष्ट है, कंजम्प्शन फंड्स वे फंड्स होते हैं, जो मुख्य रूप से उपभोक्ता वस्तुएं, रिटेल, ऑटोमोबाइल, स्वास्थ्य देखभाल और वित्तीय सेवाओं जैसे क्षेत्रों में निवेश करते हैं. भारत उपभोक्ता बाजार में एक महत्वपूर्ण नेतृत्वकर्ता बनने के लिए तैयार है, क्योंकि खरीदारी को लेकर यहां उपभोक्ताओं की शक्ति बढ़ी है, जो इसके जनसांख्यिकीय लाभ और बढ़ती खरीदारी शक्ति के कारण है. हाल ही में बजाज फिनसर्व एएमसी द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह पाया गया कि निफ्टी इंडिया कंजम्प्शन टीआरआई ने पिछले 11 वर्षों में बीएसई 500 टीआरआई से सात गुना बेहतर प्रदर्शन किया है.

कंजम्प्शन फंड की बढ़त के कारण

बढ़ती आय और आर्थिक बदलाव ने कंजम्प्शन फंड के विकास में मुख्य भूमिका निभाई है. जैसे-जैसे लोगों की आय बढ़ी है, उनके खर्च का दायरा भी बुनियादी जरूरतों से आगे बढ़कर मनोरंजन, फिटनेस और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों तक पहुंच गया है. इसके चलते कंजम्प्शन सेक्टर में निवेशकों की रुचि बढ़ी है. 

गुणवत्ता केंद्रित उपभोग भी एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बन गया है. उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों के लिए ब्रांड्स की बढ़ती संख्या ने विशेष रूप से शहरों में रहने वाले उपभोक्ताओं का ध्यान आकर्षित किया है. यह प्रवृत्ति व्यक्तिगत देखभाल से लेकर ऑटोमोटिव तक फैल चुकी है. यह देखा गया है कि सौंदर्य और व्यक्तिगत देखभाल के कंजम्प्शन में वृद्धि हो रही है, जो इसके इस्तेमाल की आवृत्ति बढ़ने के कारण है.

महामारी के बाद, उपभोक्ताओं का ध्यान जैविक और पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों की ओर तेज़ी से बढ़ा है, खासकर बेहतर स्वास्थ्य और भलाई की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए. ऐसे उत्पादों में आहार अनुपूरक, खेल पोषण और स्वास्थ्य सुरक्षा उपायों जैसे उत्पादों की मांग बढ़ी है. 

कंजम्प्शन क्षेत्र में आई काफी तेजी

डिजिटल बदलाव के परिणामस्वरूप कंजम्प्शन क्षेत्र में काफी तेजी आई है. डिजिटल प्लेटफॉर्म्स, जैसे कि यूपीआई और मोबाइल वॉलेट्स से शीघ्र भुगतान, सहज लेन-देन और तेज़ खरीदारी संभव हुई है, जिससे उपभोक्ताओं की खरीदारी की आदतों में भी बदलाव देखने को मिले हैं. क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म का अनुमानित वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) 60-80% रहने की संभावना है, जैसा कि बजाज फिनसर्व एएमसी का अध्ययन स्पष्ट करता है. 

निष्कर्ष

पिछले कुछ वर्षों में भारत के उपभोक्ताओं के बदलते रुझान और बढ़ती आय स्तर ने कंजम्प्शन फंड की बेहतर और स्थिर परफॉर्मेंस का मार्ग प्रशस्त किया है. आय स्तर में वृद्धि उपभोक्ताओं को गुणवत्ता, सुविधाओं और स्थिरता पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करती है, जो भविष्य में भारत के कंजम्प्शन को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. 

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