पटना. बिहार में होने जा रही हेडमास्टर नियुक्ति परीक्षा में अब नियोजित शिक्षक भी शामिल हो सकते हैं. पटना हाइकोर्ट ने शनिवार को नियोजित शिक्षकों को बड़ी राहत दी है. पटना हाइकार्ट ने नियोचित शिक्षकों की याचिका पर व्यवस्था देते हुए कहा कि टीईटी एसटीईटी उतीर्ण नियोजित शिक्षक प्रधान शिक्षक नियुक्ति परीक्षा में शामिल हो सकते हैं, लेकिन आगे कोर्ट का जो भी अंतिम फैसला होगा, वही मान्य होगा.
दरअसल नियोजित शिक्षक अपनी याचिका में प्रधान शिक्षक नियुक्ति नियमावली को बदलने की मांग कर रहे हैं. शिक्षक संघ की ओर से दायर याचिका में कोर्ट से गुहार लगाते हुए इसमें सुधार की मांग की गयी है.
शिक्षक संघ के प्रवक्ता अश्विनी पांडेय कहते हैं कि आरटीइ और एनसीटीइ के मानकों को पूरा करने वाले बेसिक ग्रेड के शिक्षकों को प्रधान शिक्षक बनाना चाहिए. साथ ही जब शिक्षक बनने के लिए टीईटी अनिवार्य है, तो देश के अन्य राज्यों की तरह प्रधान शिक्षक बनने के लिए भी टीईटी को अनिवार्य किया जाये.
सरकार ने प्राथमिक विद्यालयों में प्रधान शिक्षक पद के लिए 8 वर्षों का अनुभव निर्धारित किया है, लेकिन टीईटी शिक्षकों की बहाली ही 2014 से शुरू हुई है. ऐसे मे उनके पास आठ वर्षों का अनुभव प्रमाण पत्र संभव ही नहीं है.
संघ की ओर से हाईकोर्ट के वकील कुमार शानू ने बताया कि इस मामले में हाइकोर्ट का निर्देश आया है कि याचिकाकर्ता संघ के सभी सदस्य अभी प्रधान शिक्षक के लिए परीक्षा दे सकते हैं, लेकिन आगे कोर्ट का जो भी अंतिम फैसला होगा वही मान्य होगा.
उनका कहना है कि सरकार ने शुरुआत में तो बिना बीएड शिक्षकों को बहाल किया और काफी देर से उनकी ट्रेनिंग करवायी. इसलिए सरकार को व्यावहारिक नियमावली बनानी चाहिए. सरकार की ओर से बनायी गयी वर्तमान नियमावली से टीईटी शिक्षक, प्रधान शिक्षक पद के लिए पूरी तरह से अयोग्य हो जाएंगे. सरकार की गलत नियमावली के विरोध में संघ ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
संघ के प्रदेश प्रवक्ता अश्विनी पांडेय ने कोर्ट के निर्देश का स्वागत किया और कहा कि उन लोगों का कोर्ट पर पूरा भरोसा है. उन्होंने कहा कि बेसिक ग्रेड के 70 हजार शिक्षक संघ के सदस्य हैं जिनको इसका लाभ मिलेगा.
Posted by Ashish Jha