शराब मामले में दोषी होने पर नहीं मिलेगा सरकारी योजनाओं का लाभ, बिहार सरकार कर रही विचार
बिहार में शराब को लेकर सरकार एक और कठोर फैसला लेने पर विचार कर रही है. बिहार में शराब पीने, बेचने या रखने के मामले में दोषी पाये जाने पर सजा तो मिलेगी ही, साथ-साथ सभी प्रकार के सरकारी योजनाओं के लाभ से भी वंचित किया जायेगा.
पटना. बिहार में शराब को लेकर सरकार एक और कठोर फैसला लेने पर विचार कर रही है. बिहार में शराब पीने, बेचने या रखने के मामले में दोषी पाये जाने पर सजा तो मिलेगी ही, साथ-साथ सभी प्रकार के सरकारी लाभ से वंचित किया जायेगा. बिहार में शराब को लेकर सरकार एक और कठोर फैसला लेने पर विचार कर रही है. बिहार में शराब पीने, बेचने या रखने के मामले में दोषी पाये जाने पर सजा तो मिलेगी ही, साथ-साथ सभी प्रकार के सरकारी योजनाओं के लाभ से भी वंचित किया जायेगा.
लोक अदालतों में भी होगी अब सुनवाई
उन्होंने कहा कि शराब मामले की सुनवाई में भी तेजी आयी है. बिहार में शराबबंदी से जुड़े मामलों की सुनवाई अब लोक अदालत के जरिए भी होगी. सरकार ने शराबबंदी से जुड़े मामलों की न्यायिक प्रक्रिया को सहज बनाने के लिए पहले ही अलग कोर्ट की स्थापना की है, लेकिन अब लोक अदालत के जरिए भी इस ऐसे मामलों को निपटाया जाएगा. राज्य के सभी जिलों में 14 मई को शराबबंदी से जुड़े मामलों के लिए लोक अदालत लगायी जाएगी. इसमें लंबे समय से चले आ रहे मुकदमों का निपटारा होगा. खासकर पहली बार शराब पीने के जुर्म में जेल जाने वालों को राहत मिल सकती है.
पहली बार शराब पीने के मामले को प्राथमिकता
नीतीश कुमार सरकार के इस फैसले की जानकारी उत्पाद आयुक्त बी कार्तिकेय धनजी ने दी है. सरकार ने तय किया है कि धारा-37 के तहत पहली बार शराब पीने के जुर्म में जेल जाने के मामलों में बड़े स्तर पर सुनवाई होगी. उत्पाद आयुक्त ने बताया है कि शराबबंदी से जुड़े केसों के ट्रायल के मामलों राज्य के अंदर जनवरी के मुकाबले आठ गुना तेजी आयी है. स्पेशल कोर्ट के गठन बाद जनवरी में हुए 50 मामलों के मुकाबले अप्रैल में 409 केस का ट्रायल पूरा कर 398 अभियुक्तों को सजा सुनायी गयी है, जबकि 55 दोषमुक्त करार दिये गये हैं.
शराब के केस में बेटे को फंसाने के चक्कर में बाप ही गिरफ्तार
इधर, पटना के दीघा थाने के मखदूमपुर इलाके में एक बाप ने अपने ही बेटे को शराब के केस में फंसाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस की जांच में बेटा निर्दोष निकला और फिर बाप को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. बाप का नाम बिठ्ठल साव है. जबकि बेटे का नाम सुनील साव है. दीघा थानाध्यक्ष राजकुमार पांडेय ने बाप की गिरफ्तारी की पुष्टि की और बताया कि बाप ने अपने ही बेटे को शराब के केस में फंसाने की कोशिश की थी.
शराब के केस में फंसाने की योजना
जानकारी के अनुसार, बिठ्ठल साव अपने घर में रहने वाले एक किरायेदार को हटाना चाहता था. लेकिन बेटा इसके लिए तैयार नहीं था और वह किरायेदार को सपोर्ट करता था. इससे बिठ्ठल साव अपने बेटे से काफी नाराज हो गया और उसने अपने किरायेदार को कमरा खाली कराने से पहले बेटे को रास्ते से हटाने के लिए शराब के केस में फंसाने की योजना बनायी.
बेटा सुनील साव का शराब के धंधे से कोई लेना-देना नहीं
बिठ्ठल ने किसी ने शराब की 12 टेट्रा पीस लाकर छत पर रख दी और पुलिस को सूचित कर दिया कि उसका बेटा शराब का धंधा करता है और उसने छत पर शराब रखी है. इस सूचना पर दीघा थाने की पुलिस पहुंची और शराब की टेट्रा पीस को बरामद कर लिया. इसके बाद बाप, बेटे व किरायेदार से पुलिस ने पूछताछ की. लेकिन जांच में यह पता चला कि बेटा सुनील साव का शराब के धंधे से कोई लेना-देना नहीं है.