बिहार में समय से पहले रिहा होंगे सजायाफ्ता कैदी, नीतीश कैबिनेट का अहम फैसला
बिहार की जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों और कोरोना संक्रमण को देखते हुए सजायाफ्ता कैदी को समय से पहले रिहा किया जायेगा. सजा अवधि के अनुसार उन्हें दो से छह माह पूर्व रिहा करने का निर्णय पिछले दिनों उच्च अधिकार प्राप्त समिति की अनुशंसा के बाद लिया गया है.
पटना. बिहार की जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों और कोरोना संक्रमण को देखते हुए सजायाफ्ता कैदी को समय से पहले रिहा किया जायेगा. सजा अवधि के अनुसार उन्हें दो से छह माह पूर्व रिहा करने का निर्णय पिछले दिनों उच्च अधिकार प्राप्त समिति की अनुशंसा के बाद लिया गया है. शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक में इस पर मुहर लग गयी. बिहार में फिलहाल सजायाफ्ता कैदियों की संख्या करीब सात हजार है. वहीं विचाराधीन कैदियों को मिलाकर जेल में 56 हजार कैदी हैं.
मेडिकल कॉलेज व जिला अस्पताल में अलग ट्रांसफॉर्मर
कैबिनेट ने कोरोना महामारी को देखते हुए राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों, जिला अस्पतालों और अनुमंडलीय अस्पतालों में पीएसए मशीन व ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट को संचालित करने के लिए अलग से केबलयुक्त ट्रांसफॉर्मर स्थापित करने की मंजूरी दी है.
केबल वाले ट्रांसफॉर्मर लगाने का काम साउथ बिहार पावर ड्रिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड और नॉर्थ बिहार पावर ड्रिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड करेंगी. इसके लिए राज्य सरकार की ओर से साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी को 26 करोड़ 51 लाख 55 हजार रुपये और नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी को 27 करोड़ 56 लाख 82 हजार रुपये देगी.
बीडीओ व डीडीसी अब पंचायती राज की योजनाओं से मुक्त
पंचायती राज विभाग की योजनाओं को जमीनी स्तर अमलीजामा पहनाने के लिए किये गये प्रशासनिक बदलाव से संबंधित अधिनियम को भी कैबिनेट ने मंजूरी दी है. अब त्रिस्तरीय पंचायत की योजनाओं को प्रखंड स्तर पर बीडीओ की जगह प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी देखेंगे, जबकि जिला स्तर पर इसके लिए डीडीसी की जगह बिहार प्रशासनिक सेवा के नये अधिकारी के पद सृजित किये जायेंगे.
डीडीसी के पास जिले में ग्रामीण विकास की योजनाओं के साथ अन्य प्रशासनिक जिम्मेदारी होती है ऐसे में पंचायती राज की विकास की योजनाएं प्रभावित होती हैं. इसी प्रकार से अब प्रखंड स्तर पर बीडीओ को पंचायती राज की योजनाओं से मुक्ति मिल जायेगी.
Posted by Ashish Jha